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    Durga Ashtami 2025: नवरात्र में किस दिन मनाई जाएगी दुर्गा अष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    Updated: Fri, 21 Mar 2025 10:33 AM (IST)

    इस साल चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से होने जा रही है। नवरात्र की अष्टमी तिथि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पर कई साधक नवरात्र व्रत का पारण हवन और कन्या पूजन भी करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल चैत्र नवरात्र के दौरान दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami 2025 Date) कब मनाई जाएगी।

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    When is Durga Ashtami 2025 (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है, जो मुख्य रूप से दुर्गा अष्टमी या फिर महाष्टमी के नाम से भी प्रसिद्ध है। नवरात्र की यह तिथि बहुत ही खास मानी जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस दिन के लिए माता रानी की पूजा विधि। 

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    इस दिन मनेगी दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami 2025 Date)

    चैत्र माह के शुक्ल की अष्टमी की शुरुआत 04 अप्रैल को रात 08 बजकर 12 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 05 अप्रैल को शाम 07 बजकर 26, मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि का ध्यान रखते हुए चैत्र माह की अष्टमी तिथि का व्रत शनिवार, 05 अप्रैल को किया जाएगा।

    (Picture Credit: Freepik)

    जानिए पूजा विधि

    दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें और देवी का गंगाजल से अभिषेक करें। पूजा के दौरान माता रानी को लाल रंग के वस्त्र, फूल और शृंगार का सामान अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं।

    माता को हलवा, खीर और काले चने आदि का भोग लगाएं। इसके बाद दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें। कई साधक इस दिन पर कन्या पूजन भी करते हैं। इस दौरान कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें कुछ-न-कुछ उपहार दें। साथ ही इस दिन पर हवन कराना भी काफी शुभ माना जाता है।

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    क्यों खास है यह तिथि

    दुर्गा अष्टमी की पूजा में देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा-अर्चना का विधान है। इस दिन खासतौर से मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है, जो मान्यताओं के अनुसार, राहु ग्रह को शासित करती हैं। ऐसे में दुर्गा अष्टमी के अवसर पर विधिवत रूप से मां महागौरी की पूजा करने से साधक को राहु ग्रह के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    कई स्थानों पर महाष्टमी के दिन संधि पूजा की जाती है। संधि पूजा में अष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के पहले 24 मिनट की समयावधि को संधि काल कहा जाता है, जिसमें दुर्गा पूजा की जाती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।