Chaitra Navratri 2025: 8 या 9 इस बार कितने दिन मनेगा नवरात्र का पर्व, जानिए कब की जाएगी कन्या पूजा
पंचांग के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। ऐसे में इस साल चैत्र नवरात्र रविवार 30 मार्च से शुरू होंगे। नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा होती है तो वहीं नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की विधान है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस बार नवरात्र का पर्व 8 दिन मनाया जाएगा या फिर 9 दिन।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल में चार बार नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) का पर्व मनाया जाता है, जिसमें से दो प्रकट नवरात्र होते हैं, जिन्हें चैत्र और शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता है। वहीं माघ और आषाढ़ महीने में आने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र का आठवां और नौवा दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इन दोनों ही तिथियों पर कन्या पूजन का विधान है।
घट स्थापना मुहूर्त (Ghat Sthapana Muhurat)
इस साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से होने जा रही है। इस दिन घट स्थापना का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -
घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक
(Picture Credit: Freepik)
कब है अष्टमी और नवमी (Chaitra Navratri Kab Hai)
इस बार चैत्र नवरात्र की महाष्टमी और महानवमी का संयोग देखने को मिल रहा है, क्योंकि इस बार पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है। ऐसे में 8 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस प्रकार 5 अप्रैल को चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि का पूजन किया जाएगा और इसी दिन पर कन्या पूजन भी किया जाएगा। इसी के साथ अगले दिन यानी 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि का पूजन और राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा।
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करें इन मंत्रों का जप
नवरात्र के नौ दिनों तक पूजा के दौरान आप मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जप कर सकते हैं। इससे आपको देवी मां का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
मां दुर्गा का आह्वान मंत्र - ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
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