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    Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र पर इस समय भूलकर भी न करें कलश स्थापना, वरना शुरू हो जाएंगे बुरे दिन

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 18 Mar 2025 07:42 PM (IST)

    चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) के पहले दिन दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इंद्र योग संध्याकाल 05 बजकर 45 मिनट तक है। इसके साथ ही संध्याकाल 04 बजकर 35 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इंद्र योग में देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होगा।

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    Chaitra Navratri 2025: देवी मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र माह जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस महीने में चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि पाने के लिए नवरात्र का व्रत रखा जाता है।

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    धार्मिक मत है कि जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। नवरात्र की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कलश स्थापना के समय भक्तजन अनजाने में कई गलतियां कर बैठते हैं? आइए, चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) की कलश स्थापना समय के बारे में सबकुछ जानते हैं-

    यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2025: कब से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्र? जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    चैत्र नवरात्र शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri Shubh Muhurat)

    चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत शनिवार 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 30 मार्च को प्रतिपदा तिथि दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसके लिए 30 मार्च को घटस्थापना की जाएगी। इसके साथ ही चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी।  

    घटस्थापना समय

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 30 मार्च को घटस्थापना समय सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है। इस समय में स्नान-ध्यान कर कलश स्थापना कर सकते हैं। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट के मध्य भी कलश स्थापना कर सकते हैं। इन दो शुभ योग में घटस्थापना कर सकते हैं।

    कब न करें कलश स्थापना

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि शुभ समय में कलश स्थापना करनी चाहिए। इससे साधक को शुभ फल मिलता है। वहीं, अमावस्या तिथि और रात के समय में कलश स्थापना न करें। अनदेखी करने से देवी मां दुर्गा अप्रसन्न होती हैं। मां के अप्रसन्न होने से साधक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए योग्य ज्योतिष या पंडित से कलश स्थापना का सही समय अवश्य जान लें। इसके बाद कलश स्थापना कर देवी मां दुर्गा की पूजा करें।

    पूजा के लाभ

    जगत जननी मां दुर्गा बेहद दयालु एवं कृपालु हैं। अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। ज्योतिष भी मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए देवी मां दुर्गा की पूजा करने की सलाह देते हैं।  

    यह भी पढ़ें: चैत्र नवरात्र में इन उपाय से वास्तु दोष करें दूर, मां दुर्गा की बरसेगी की कृपा

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।