Chaitra Navratri 2025: मां शैलपुत्री की पूजा में करें इस कथा का पाठ, जानें कैसा है देवी का स्वरूप?
चैत्र नवरात्र की शुभ अवधि में मां दुर्गा के 09 रूपों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन में संकटों से छुटकारा पाने के लिए विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है। इससे साधक को जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं। चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। आइए पढ़ते हैं मां शैलपुत्री की व्रत कथा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) की शुरुआत होती है। इस बार इस पर्व की शुरुआत आज यानी 30 मार्च से हो गई है। पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां शैलपुत्री (Chaitra Navratri katha) की पूजा करने से ग्रह-कलेश दूर होते हैं। साथ ही सभी मुरादें पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान मां शैलपुत्री की कथा का पाठ न करने से साधक को शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए कथा का पाठ करना न भूलें। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में पढ़ते हैं मां शैलपुत्री (Maa shailputri katha) की कथा।
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मां शैलपुत्री की कथा (Maa Shailputri Katha)
देवी भागवत पुराण के अनुसार, एक बार प्रजापति दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया। इस यज्ञ में उन्होंने देवी-देवताओं को बुलाया, लेकिन भगवान शिव और पुत्री सती को निमंत्रण नहीं भेजा। भगवान शिव ने देवी सती को यज्ञ में जाने से मना किया, लेकिन फिर भी देवी सती समारोह में चली गईं। उन्होंने भगवान शिव के अपमान की वजह से यज्ञ विध्वंस कर दिया और यज्ञ में कूदकर आहुति दे दी।
इससे महादेव ने क्रोध में आकर दक्ष का वध कर दिया और महासमाधि धारण कर ली। इसके बाद देवी सती ने देवी पार्वती के रूप में जन्म लिया और तपस्या कर महादेव को पति के रूप प्राप्त किया।
कैसा मां शैलपुत्री का स्वरूप?
चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मां का वाहन बैल है। मां शैलपुत्री एक हाथ में कमल पुष्प और दूसरे हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां शैलपुत्री की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी दुख और दर्द दूर होते हैं। साथ ही पूजा शुभ फल प्राप्त होता है।
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मां शैलपुत्री के प्रिय भोग (Maa Shailputri Favourite Bhog)
मां शैलपुत्री को खीर और रबड़ी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से घर में सुख-शांति का वास होता है। साथ ही जीवन के डर से छुटकारा मिलता है।
(Pic Credit- Freepik)
मां शैलपुत्री मंत्र (Maa Shailputri Puja Mantra)
ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
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