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    Bhanu Saptami 2025: भानु सप्तमी पर 'त्रिपुष्कर योग' समेत बन रहे हैं कई संयोग, बनेंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 16 Apr 2025 04:31 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा करने से शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जॉब से जुड़ी परेशानी दूर हो जाती है। ज्योतिष भी करियर में सफलता पाने के लिए सूर्य देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। शास्त्रों में भी सूर्य पूजा (Bhanu Saptami 2025 Yoga) का विधान है।

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    Bhanu Saptami 2025: भानु सप्तमी के उपाय

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 20 अप्रैल को भानु सप्तमी है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष के दिन मनाया जाता है। रविवार के दिन पड़ने पर भानु सप्तमी का महत्व और बढ़ जाता है। इस शुभ तिथि पर आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा की जाती है। साथ ही दान-पुण्य किया जाता है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इनमें दुर्लभ त्रिपुष्कर योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को अक्षय और अमोघ फल की प्राप्ति होगी। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    भानु सप्तमी शुभ मुहूर्त (Bhanu Saptami Shubh Muhurat)

    वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 19 अप्रैल को शाम 06 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का समापन 20 अप्रैल को शाम 07 बजे होगा। उदया तिथि की गणना से 20 अप्रैल को भानु सप्तमी है।

    त्रिपुष्कर योग

    ज्योतिषियों की मानें तो भानु सप्तमी पर दुर्लभ त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से बन रहा है। वहीं, त्रिपुष्कर योग का समापन शाम 07 बजे होगा। इस दौरान सूर्य देव की पूजा एवं उपासना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

    भानु सप्तमी शुभ योग (Bhanu Saptami Shubh Yog)

    भानु सप्तमी पर सिद्ध योग का संयोग है। सिद्ध योग देर रात 12 बजकर 13 मिनट तक है। भानु सप्तमी पर सिद्ध योग में सूर्य देव की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता मिलेगी। साथ ही सभी बिगड़े काम बनने लगेंगे। इसके अलावा, आरोग्यता का वरदान भी मिलता है। इस शुभ अवसर पर पूर्वाषाढा और उत्तराषाढा नक्षत्र का भी संयोग है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 50 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।