Bhanu Saptami 2025: भानु सप्तमी कब है और क्या है इसका धार्मिक महत्व?
धार्मिक मत है कि भानु सप्तमी (Bhanu Saptami 2025) पर सूर्य देव की पूजा करने से करियर को नया आयाम मिलता है। साथ ही साधक को शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साधक भानु सप्तमी के दिन भक्ति भाव से सूर्य देव की पूजा करते हैं। साथ ही पूजा के बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें सबसे पहले विकट संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसके तीन दिन बाद भानु सप्तमी मनाई जाती है।
भानु सप्तमी हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा की जाती है। साथ ही सूर्य साधना भी की जाती है। ज्योतिष भी करियर में सफलता पाने के लिए सूर्य देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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भानु सप्तमी शुभ मुहूर्त (Bhanu Saptami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 19 अप्रैल को शाम 06 बजकर 21 मिनट से वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 20 अप्रैल को शाम 07 बजे वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि से गणना की जाती है। इसके लिए 20 अप्रैल को भानु सप्तमी मनाई जाएगी।
भानु सप्तमी शुभ योग (Bhanu Saptami Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो भानु सप्तमी पर दुर्लभ सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही त्रिपुष्कर योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इसके अलावा, पूर्वाषाढा और उत्तराषाढा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 50 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
सूर्य मंत्र
1. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
2. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।
3. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
4. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
5. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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