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    Pradosh Vrat 2025: भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है? यहां पता करें शुभ मुहूर्त और योग

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 02:21 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव की पूजा एवं भक्ति (Pradosh Vrat 2025))करने से साधक के जीवन में सुखों का आगमन होता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की परेशानी दूर हो जाती है। साधक श्रद्धा भाव से त्रयोदशी के दिन शिव-शक्ति की पूजा करते हैं।

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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद महीना बेहद खास होता है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इस माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। वहीं, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीजी यानी राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

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    इससे पहले शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। आइए, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष व्रत की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    कब है प्रदोष व्रत? (Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)

    भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ने वाला है। इसके लिए यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। बुध प्रदोष व्रत करने से मचाही मुराद पूरी होती है। साथ ही कारोबार संबंधी परेशानी दूर होती है। साधक श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत के दिन शिव परिवार की पूजा करते हैं।

    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत 20 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन त्रयोदशी तिथि दोपहर 01 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और 21 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 20 अगस्त के दिन बुध प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। 20 अगस्त के दिन पूजा का समय शाम 06 बजकर 56 मिनट से लेकर 09 बजकर 07 मिनट तक है।

    साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं। वहीं, प्रदोष काल में महादेव की पूजा- आरती अवश्य करें। 

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 53 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 09 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 17 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।