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    Pradosh Vrat 2025: महादेव के इन चमत्कारी मंत्रों से दूर करें जीवन के सभी संकट, हर परेशानी होगी छूमंतर

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sat, 05 Jul 2025 06:00 PM (IST)

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 07 जुलाई को देर रात 11 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और 09 जुलाई को देर रात 12 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। भौम प्रदोष व्रत पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा एवं भक्ति की जाएगी।

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    Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 08 जुलाई को प्रदोष व्रत है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।

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    प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है। भौम प्रदोष व्रत करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः त्रयोदशी तिथि पर साधक भक्ति भाव से शिव-शक्ति की पूजा करते हैं। अगर आप भी देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो भौम प्रदोष व्रत पर पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    भगवान शिव के 108 नाम

    ॐ महाकाल नमः

    ॐ रुद्रनाथ नमः

    ॐ भीमशंकर नमः

    ॐ नटराज नमः

    ॐ प्रलेयन्कार नमः

    ॐ चंद्रमोली नमः

    ॐ डमरूधारी नमः

    ॐ चंद्रधारी नमः

    ॐ भोलेनाथ नमः

    ॐ कैलाश पति नमः

    ॐ भूतनाथ नमः

    ॐ नंदराज नमः

    ॐ नन्दी की सवारी नमः

    ॐ ज्योतिलिंग नमः

    ॐ मलिकार्जुन नमः

    ॐ भीमेश्वर नमः

    ॐ विषधारी नमः

    ॐ बम भोले नमः

    ॐ विश्वनाथ नमः

    ॐ अनादिदेव नमः

    ॐ उमापति नमः

    ॐ गोरापति नमः

    ॐ गणपिता नमः

    ॐ ओंकार स्वामी नमः

    ॐ ओंकारेश्वर नमः

    ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः

    ॐ भोले बाबा नमः

    ॐ शिवजी नमः

    ॐ शम्भु नमः

    ॐ नीलकंठ नमः

    ॐ महाकालेश्वर नमः

    ॐ त्रिपुरारी नमः

    ॐ त्रिलोकनाथ नमः

    ॐ त्रिनेत्रधारी नमः

    ॐ बर्फानी बाबा नमः

    ॐ लंकेश्वर नमः

    ॐ अमरनाथ नमः

    ॐ केदारनाथ नमः

    ॐ मंगलेश्वर नमः

    ॐ अर्धनारीश्वर नमः

    ॐ नागार्जुन नमः

    ॐ जटाधारी नमः

    ॐ नीलेश्वर नमः

    ॐ जगतपिता नमः

    ॐ मृत्युन्जन नमः

    ॐ नागधारी नमः

    ॐ रामेश्वर नमः

    ॐ गलसर्पमाला नमः

    ॐ दीनानाथ नमः

    ॐ सोमनाथ नमः

    ॐ जोगी नमः

    ॐ भंडारी बाबा नमः

    ॐ बमलेहरी नमः

    ॐ गोरीशंकर नमः

    ॐ शिवाकांत नमः

    ॐ महेश्वराए नमः

    ॐ महेश नमः

    ॐ संकटहारी नमः

    ॐ महेश्वर नमः

    ॐ रुंडमालाधारी नमः

    ॐ जगपालनकर्ता नमः

    ॐ पशुपति नमः

    ॐ संगमेश्वर नमः

    ॐ दक्षेश्वर नमः

    ॐ घ्रेनश्वर नमः

    ॐ मणिमहेश नमः

    ॐ अनादी नमः

    ॐ अमर नमः

    ॐ आशुतोष महाराज नमः

    ॐ विलवकेश्वर नमः

    ॐ अचलेश्वर नमः

    ॐ ओलोकानाथ नमः

    ॐ आदिनाथ नमः

    ॐ देवदेवेश्वर नमः

    ॐ प्राणनाथ नमः

    ॐ शिवम् नमः

    ॐ महादानी नमः

    ॐ शिवदानी नमः

    ॐ अभयंकर नमः

    ॐ पातालेश्वर नमः

    ॐ धूधेश्वर नमः

    ॐ सर्पधारी नमः

    ॐ त्रिलोकिनरेश नमः

    ॐ हठ योगी नमः

    ॐ विश्लेश्वर नमः

    ॐ नागाधिराज नमः

    ॐ सर्वेश्वर नमः

    ॐ उमाकांत नमः

    ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः

    ॐ त्रिकालदर्शी नमः

    ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः

    ॐ महादेव नमः

    ॐ गढ़शंकर नमः

    ॐ मुक्तेश्वर नमः

    ॐ नटेषर नमः

    ॐ गिरजापति नमः

    ॐ भद्रेश्वर नमः

    ॐ त्रिपुनाशक नमः

    ॐ निर्जेश्वर नमः

    ॐ किरातेश्वर नमः

    ॐ जागेश्वर नमः

    ॐ अबधूतपति नमः

    ॐ भीलपति नमः

    ॐ जितनाथ नमः

    ॐ वृषेश्वर नमः

    ॐ भूतेश्वर नमः

    ॐ बैजूनाथ नमः

    ॐ नागेश्वर नमः

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।