Ashadha Purnima 2025: 10 या 11 जुलाई? कब मनाई जाएगी आषाढ़ पूर्णिमा? एक क्लिक में जानें सही डेट
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही पवित्र नदी में स्न्नान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अन ...और पढ़ें


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अभी पढ़ेंधर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने की आखिरी तिथि पर पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन श्रीहरि और पवित्र नदी में स्नान करने से साधक के सभी पाप कट जाते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं आषाढ़ पूर्णिमा (Ashadha Purnima 2025) की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
आषाढ़ पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त (Ashadha Purnima 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा की शुरुआत 10 जुलाई को देर रात 01 बजकर 36 मिनट पर होगी। वहीं, तिथि का समापन 11 जुलाई को देर रात 02 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।
आषाढ़ पूर्णिमा 2025 दान (Ashadha Purnima 2025 Daan)
पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर पूजा-अर्चना करें और इसके बाद मंदिर या फिर गरीब लोगों में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा के दिन दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा से रुके हुए काम पूरे होते हैं।
सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए पूर्णिमा के दिन दूध का दान करना चाहिए। साथ ही मां लक्ष्मी से सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन से तिजोरी भरी रहती हैं और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
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पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 31 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 22 मिनट पर
चन्द्रोदय- शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
चन्द्रास्त- कोई नहीं
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
मां लक्ष्मी के मंत्र
1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
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