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    Ashadha Purnima Kab Hai 2025: आषाढ़ पूर्णिमा कब है? जानें स्नान-दान और व्रत करने की सही डेट और टाइम

    Updated: Sun, 29 Jun 2025 09:41 AM (IST)

    आषाढ़ पूर्णिमा (Ashadha Purnima 2025) जिसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जिसे हर साल भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरु की पूजा और स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।

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    Ashadha Purnima Kab Hai 2025: आषाढ़ पूर्णिमा कब है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है और इनमें भी आषाढ़ पूर्णिमा का अपना एक अलग स्थान है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि इस तिथि (Ashadha Purnima 2025) पर गुरु की उपासना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस साल आषाढ़ पूर्णिमा कब मनाई जाएगी?

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    आषाढ़ पूर्णिमा कब है? (Ashadha Purnima 2025 Kab Hai?)

    पंचांग गणना के आधार पर पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 09 जुलाई, 2025 को शाम 06 बजकर 54 मिनट से होगी। इसके साथ ही इसकी समाप्ति 10 जुलाई 2025 को शाम 05 बजकर 47 मिनट पर होगी, क्योंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसलिए 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी।

    व्रत, स्नान-दान शुभ मुहूर्त (Ashadha Purnima 2025 Snan-Daan, Fasting Date Or Time)

    • ज्योषीय गणना के आधार पर इस साल आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत, स्नान-दान एक ही दिन यानी 10 जुलाई को मनाया जाएगा।

    आषाढ़ पूर्णिमा पर जरूर करें ये अनुष्ठान (Ashadha Purnima 2025 Rituals)

    • गुरु पूजा - आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस दिन अपने गुरुओं की पूजा जरूर करें और उनका आशीर्वाद लें।
    • स्नान-दान का महत्व - पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही स्नान के बाद दान करने का भी विधान है। इसलिए इस दिन अन्न, वस्त्र, धन या अन्य जरूरी चीजों का दान जरूर करें।
    • व्रत करें - आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मन शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
    • साधना और ध्यान - यह दिन साधना और ध्यान के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन ध्यान जरूर करें। ऐसा करने से मन एकाग्र और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।