Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या पर शिववास योग समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, मिलेगा महादेव का आशीर्वाद
आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya 2025 Yoga) पर भगवान शिव की पूजा करने से अक्षय और अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं।

Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 25 जून को आषाढ़ माह की अमावस्या है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान करने का विधान है। साथ ही देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। अमावस्या तिथि पर पितरों का भी तर्पण किया जाता है।
धार्मिक मत है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ अमावस्या पर दुर्लभ शिववास और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है। आइए, आषाढ़ अमावस्या (Kab Hai Ashadha Amavasya 2025) के शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त (Ashadha Amavasya Shubh Muhurat)
आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि संध्याकाल 04 बजे तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर देवों के देव महादेव की पूजा कर सकते हैं। वहीं, पूजा के बाद दान-पुण्य कर सकते हैं। सुविधा होने पर गंगा या गंगा की सहायक नदियों में स्नान कर सकते हैं। असुविधा होने पर घर पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें।
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वृद्धि योग
आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि पर वृद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ तिथि पर सुबह 06 बजे से वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही सभी प्रकार के बिगड़े काम बन जाएंगे।
सर्वार्थ सिद्धि योग
आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 05 बजकर 25 मिनट से हो रहा है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर हो रहा है। ज्योतिष सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होगी।
शिववास योग
आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya) के शुभ अवसर पर शिववास योग बन रहा है। यह योग संध्याकाल 04 बजे तक है। इस समय में देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा एवं अभिषेक करने से साधक को हर काम में सफलता मिलेगी।
नक्षत्र योग
आषाढ़ अमावस्या पर मृगशिरा एवं आर्द्रा का योग है। सबसे पहले मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है। इसके बाद आर्द्रा योग है। इन योग में पूजा, जप, तप, दान-पुण्य कर सकते हैं।
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