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    कैसे की जाती है आरती, कितनी बार घुमाई जाती है थाली… जानिए सही तरीका

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 01:13 PM (IST)

    सावन के इस महीने में भगवान शिव की आरती का महत्व है। आरती सही विधि से करना जरूरी है। आरती करते समय घी के दीपक का उपयोग करना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने वाले को स्वर्ग में स्थान मिलता है। वहीं कपूर से आरती करने से अनंत में प्रवेश मिलता है।

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    भगवान की आरती एक ही स्थान पर खड़े होकर करनी चाहिए।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पूजा के बाद भगवान की आरती की जाती है। इसके बाद ही कोई भी यज्ञ-अनुष्ठान और पूजा पूरी मानी जाती है। आरती का मतलब होता है पूर्णता। पूजा या अनुष्ठान में जो कमी रह गई थी या कोई गलती हो गई थी, तो आरती से वह पूरी हो जाती है। 

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    मगर, आरती सही विधि और नियम से की जानी जरूरी होती है। सावन (sawan 2025) के इस पुण्य महीने में आइए जानते हैं कि भगवान शिव की आरती (Sawan 2025 Aarti vidhi) करते वक्त पूजा की थाली कितनी बार घुमानी चाहिए। किस दिशा में घुमानी चाहिए और किस तरह से घुमानी चाहिए। 

    जिस घर में हो आरती, चरण कमल चित्त लाय।

    तहां हरि बासा करें, जोत अनंत जगाय।।

    इसका अर्थ है कि जिस घर में भगवान के चरण कमलों को ध्यान में रखते हुए आरती की जाती है, वहां प्रभु का वास होता है। ऐसे घरों में हमेशा प्रभु की कृपा बनी रहती है और सुख-समृद्धि आती है। 

    किस चीज से करनी चाहिए आरती 

    • घी के दीपक से आरती करने से करोड़ों साल तक स्वर्ग में स्थान मिलता है। 
    • सावन में कपूर से आरती करने वाले व्यक्ति को अनंत में प्रवेश मिलता है। 
    • सिर्फ आरती के दर्शन करने वाले व्यक्ति को परमपद की प्राप्ति होती है। 

    भगवान के सामने कितनी बार घुमाएं आरती

    भगवान की आरती एक ही स्थान पर खड़े होकर और भगवान के सामने थोड़ा झुककर करनी चाहिए। आरती की थाली को क्लॉक वाइज यानी घड़ी की सुई की दिशा में घुमाना चाहिए। 

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    भगवान के चरणों में चार बार, इसके बाद उनकी नाभि पर दो बार और एक बार मुंह की तरफ आरती उतारनी चाहिए। इसके बाद सभी अंगों की 7 बार आरती करनी चाहिए। कुल मिलाकर 14 बार आरती की थाली घुमानी चाहिए। 

    कहते हैं कि 14 बार आरती की थाली घुमाने से 14 भुवन में जो भगवान में समाए हैं, उन तक आपका प्रणाम पहुंचता है। यदि कोई व्यक्ति पूजा के नियम, विधि, मंत्र आदि नहीं जानता है, लेकिन यदि आरती भी कर लेता है, तो उसकी पूजा स्वीकार हो जाती है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।