जलाभिषेक और रुद्राभिषेक में क्या होता है अंतर, क्या आपको पता है ये जानकारी
सावन के महीने में शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। कई लोग जलाभिषेक और रुद्राभिषेक को एक ही मानते हैं पर दोनों में अंतर है। जलाभिषेक में शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है जिससे भगवान शिव को शीतलता मिलती है। वहीं रुद्राभिषेक वैदिक मंत्रों और विशेष सामग्री के साथ किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कई बार लोग जलाभिषेक और रुद्राभिषेक को एक ही समझ लेते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए जाते हैं, लेकिन कहते हैं कि रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं, जबकि इन दोनों में बड़ा अंतर होता है।
सावन के इस पवित्र महीने में जब शिवालयों में भोलेनाथ के भक्तों की लाइन लगी है, आइए जानते हैं कि रुद्राभिषेक और जलाभिषेक में क्या अंतर होता है। इन दोनों का क्या विधान होता है। सावन का महीना भक्ति, तप, व्रत और शिव आराधना का सबसे उत्तम समय होता है।
इस महीने में देश के सभी शिवालयों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। दूर-दूर से कांवड़िए गंगाजल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है, जिसे जलाभिषेक कहते हैं।
सीधी भाषा में कहें, तो जलाभिषेक का मतलब है भगवान शिव का जल चढ़ाना। जिससे उन्हें शीतलता मिलती है। यह परंपरा भगवान शिव के विष पान की घटना से जुड़ी हुई है। जलाभिषेक सरल और सामान्य विधि है, जिसे रोज शिवालय जाकर या घर पर भी किया जा सकता है। जलाभिषेक के लिए कोई विशेष विधि नहीं होती है।
रुद्राभिषेक में होता है मंत्रोच्चार
वहीं, वैदिक मंत्रों और विशेष सामग्री के साथ जब शिवलिंग की पूजा की जाती है, तो उसे रुद्राभिषेक कहा जाता है। अलग-अलग कामनाओं के लिए अलग-अलग सामग्रियों के साथ ब्राह्मणों के द्वारा शिवलिंग का अभिषेक मंत्रोच्चारण करते हुए कराया जाता है।
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इस दौरान सामान्य तौर पर रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है। इस दौरान पहले जल से फिर दूध, शहद, दही, घी और शुद्ध जल सहित पांच पवित्र द्रव्यों से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
रुद्राभिषेक को घर पर भी किया जा सकता है और शिवालय में भी किया जा सकता है। मुख्य रूप से मानसिक शांति, ग्रह दोष की शांति, संतान सुख, रोग मुक्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है।
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