सावन शिवरात्रि पर किस समय करें शिवलिंग का जलाभिषेक, जानिए पूरे दिन के शुभ मुहूर्त
सावन की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है जिसका सावन के महीने में विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान भोलेनाथ सपरिवार धरती पर आते हैं। इस वर्ष यह पर्व 23 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से महादेव की पूजा करते हैं। निशीथ काल और अन्य पहर में पूजन के मुहूर्त हैं। जानिए जलाभिषेक का (jalabhishek time) शुभ मुहूर्त।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। हर महीने इस तिथि पर देवाधिदेव महादेव की विधि-विधान के साथ पूजा और व्रत किया जाता है। अन्य माह की शिवरात्रि की तुलना में सावन के महीने की मासिक शिवरात्रि का बड़ा महत्व है।
इसकी वजह है कि इस समय के दौरान भोलेनाथ स्वयं न केवल सृष्टि का संचालन करते हैं, बल्कि सपरिवार धरती पर भी आते हैं। पांचांग के अनुसार, इस बार सावन की शिवरात्रि 23 जुलाई को सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो रही है।
उदिया तिथि की वजह से 23 जुलाई को ही शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि पर व्रत करने से भोलेनाथ की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जीवन में चली आ रही परेशानियों का अंत होता है। इस दौरान जलाभिषेक का समय (jal time) नोट कर लीजिए।
सावन शिवरात्रि पूजन मुहूर्त
निशीत काल- रात 12.25 बजे से 1.08 बजे तक।
प्रथम पहर की पूजा- शाम 7.26 बजे से लेकर रात 10.6 बजे तक।
दूसरे पहर का पूजा- रात 10.06 बजे से रात 12.46 बजे।
तीसरे पहर का पूजा- रात 12.46 बजे से सुबह 3.27 बजे।
चौथे पहर का पूजा- 24 जुलाई को सुबह 3.27 बजे से सुबह 6.07 बजे तक।
सावन शिवरात्रि 2025 जलाभिषेक
शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक का पहला मुहूर्त (Sawan Shivratri 2025 Jalabhishek Muhurat) सुबह 4.15 बजे से सुबह 4.56 बजे तक है। जलाभिषेक का दूसरा मुहूर्त सुबह 8.32 बजे से लेकर सुबह 10.02 मिनट तक रहेगा।
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सावन शिवरात्रि पूजन विधि
स्नानादि दैनिक नित्य कर्म करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद शिवालय जाकर (Sawan Shivratri 2025 Pujan Vidhi) जल, दूध, घी, शहद आदि अन्य चीजों से जलाभिषेक करें। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
बेलपत्र, धतूरा, फूल, फल और मिठाई आदि चढ़ाएं। इसके बाद धूप और दीप से भोलेनाथ की आरती करें। आप चाहें, तो इसके बाद महामृत्युंजय मंत्र, शिव पंचाक्षर स्रोत, शिव चालीसा, शिवाष्टकम आदि का पाठ भी कर सकते हैं।
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