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    सावन शिवरात्रि पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर करें पूजा, पढ़िए बनाने की विधि और इसके लाभ

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 07:35 PM (IST)

    सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन का विशेष महत्व है। कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने कलयुग में इसकी शुरुआत की। पार्थिव पूजन करने वाला करोड़ों साल तक स्वर्ग में रहता है। इसे नदी की मिट्टी दूध गोबर चंदन और पुष्प मिलाकर बनाया जाता है। प्रदोष काल में गणेश जी विष्णु भगवान नवग्रह और माता पार्वती का आह्वान करके पूजन करें।

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    मान्यता है कि पार्थिव पूजन करने वाला करोड़ों साल तक स्वर्ग में रहता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन के महीने में शिवालयों में जाकर भोलेनाथ के भक्त जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करते हैं। मगर, इस महीने में और खासतौर पर सावन की शिवरात्रि पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन का विशेष विधान है। इसे पार्थिव शिवलिंग भी कहा जाता है। 

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    शिव महापुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजन की महिमा बताई गई है। इसके अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से धन, धान्य, आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है। शारीरिक-मानसिक क्लेश से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है। 

    कहते हैं कि कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने कलयुग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करनी शुरू की थी। यह भी मान्यता है कि पार्थिव पूजन करने वाला दस हजार कल्प यानी करोड़ों साल तक स्वर्ग में रहता है। यह पार्थिव पूजन पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं। 

    शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। प्रतिदिन पार्थिव पूजन करने वाले को इस लोक और परलोक में शिव भक्ति की प्राप्ति होती है। 

    कैसे बनाएं शिवलिंग 

    • नदी-तालाब की मिट्टी में दूध, गाय के गोबर, चंदन, पुष्प आदि मिलाकर उसका शोधन करें। 
    • इसके बाद ओम नमः शिवाय मंत्र बोलते हुए मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें।
    • पार्थिव शिवलिंग को बनाते वक्त ध्यान रखें कि वह 12 अंगुल से अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए। 
    • कलियुग में मोक्ष पाने के लिए और मनोकामनाओं की पूर्ति के पार्थिव शिवलिंग पूजन करना चाहिए।

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    कैसे करें पार्थिव पूजन 

    • प्रदोष काल का समय पार्थिव शिवलिंग पूजा के लिए शुभ होता है।
    • गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती का आह्वान करें। 
    • ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाएं। 
    • इत्र, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती करें। 
    • पुष्पांजलि के बाद भगवान से उनके स्थान पर जाने का निवेदन करें। 
    • इसके बाद पार्थिव शिवलिंग को जल में विसर्जित कर दें। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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