Navratri 2025: इस आरती के बिना अधूरी है मां सिद्धिदात्री की पूजा, पूरी होगी मनचाही मुराद
शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि का खास (Shardiya Navratri 2025 Aarti) महत्व है। इस शुभ अवसर पर अष्ट सिद्धि की देवी मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र की महानवमी आज मनाई रही है। यह दिन विशेष होता है। इस शुभ अवसर पर देवी मां सिद्धिदात्री की भक्ति भाव से पूजा, भक्ति और उपासना की जा रही है। ममतामयी मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। साथ ही उन्हें मनचाहा वरदान प्रदान करती हैं।
धार्मिक मत है कि जगत की देवी मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को अक्षय फल मिलता है। उनकी कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। देवी मां भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। अगर आप भी देवी मां सिद्धिदात्री की कृपा पाना चाहते हैं, तो संध्या काल में ये आरती जरूर करें।
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!
आरती श्री अम्बा जी
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी...
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी...
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी...
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी...
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी...
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी...
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी...
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी...
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैर
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी...
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी...
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी...
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी...
श्री अम्बेजी की आरती,जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी...
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