Nag Panchami 2025: आस्तिक मुनि को नागों ने क्या दिया था वचन, क्यों नागों को इस दिन पिलाते हैं दूध
नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा से सर्पदंश का भय दूर होता है और उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के दरवाजे पर नाग की आठ आकृतियाँ बनाकर हल्दी रोली चावल घी दूध और फूल से पूजा की जाती है। मंदिरों में तांबे के नाग की पूजा से काल सर्प दोष भी कम होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा करने से सांप के काटने का भय खत्म होता है। इसके साथ ही नागदेव की पूजा करने वाले को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के लिए घर के दरवाजे के दोनों तरफ नाग की आठ आकृतियां बनाएं।
इसके बाद हल्दी, रोली, चावल, घी, दूध, फूल आदि से नाग देवता की पूजा करें। मंदिरों या शिवालयों में इस दिन तांबे के नाग की पूजा होती है। ऐसा करने से कुंडली में यदि काल सर्प दोष भी है, तो वह भी खत्म होता है। इसके लिए नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।
नाग पंचमी की कहानी
नाग पंचमी की पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों में अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नागों से बदला लेने के लिए एक यज्ञ किया था। इसके जरिये वह पूरे नाग वंश को ही धरती से समाप्त कर देना चाहते थे। दरअसल, राजा परीक्षित को तक्षक नामक सांप ने डंस लिया था।
इसकी वजह से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई थी। इसी का बदला लेने के लिए जन्मेजय ने यज्ञ का अनुष्ठान किया था। जैसे ही यज्ञ शुरू हुआ एक-एक कर नाग हवन कुंड में आकर गिरने लगे। ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को होने से रोका और नाग वंश की रक्षा की थी।
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कहते हैं जिस दिन यह घटना हुई थी, उस दिन सावन की पंचमी तिथि थी। तब से ही सावन की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही आस्तिक मुनि ने सांपों को शीतलता देने के लिए उनके शरीर पर दूध की धार डाली थी।
तब नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि नाग पंचमी के दिन जो भी उनकी पूजा करेगा, उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। इसी वजह से इस दिन सांपों को दूध पिलाने की परंपरा भी शुरू हुई थी।
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