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    Nag Panchami: 28 या 29 जुलाई कब है नाग पंचमी, जानिए इसका महत्व और नोट कीजिए पूजा विधि

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 07:00 AM (IST)

    नाग पंचमी का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव माता पार्वती और नाग देवताओं की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस ...और पढ़ें

    Nag Panchami पर भोलेनाथ की पूजा करने से काल सर्प दोष भी होता है दूर।
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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami 2025) का पर्व मानते हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और नाग देवताओं की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन सांप, उनकी मूर्तियों या प्रतिमाओं को पूजने से नाग देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। 

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    इसके साथ ही कुंडली में बनने वाले अशुभ कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु (Rahu-Ketu Remedies) से संबंधित परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए भी उपाय किए जाते हैं। इस साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई की रात 11:24 से शुरू होकर 30 जुलाई की रात 12:46 तक रहेगी। 

    क्या रहेंगे शुभ मुहूर्त 

    ऐसे में उदिया तिथि के अनुसार, नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई 2025 को मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। नाग पंचमी के पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 से सुबह 8:30 तक रहेगा। चौघड़िया का शुभ मुहूर्त सुबह 10:46 से दोपहर 12:27 तक रहेगा। 

    इसके बाद दोपहर 12:27 से 2:09 तक शुभ मुहूर्त रहेगा। पूजन का अगला शुभ मुहूर्त दोपहर 3:51 से शाम को 5:32 तक रहेगा। 

    क्यों की जाती है नागों की पूजा 

    नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा करने से परिवार को सांपों के डर से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

    कैसे करें पूजन 

    ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें। भगवान का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। शिवालय जाकर शिवलिंग का दूध, दही, गंगाजल, जल, शहद आदि से अभिषेक करें। धतूरा, बेलपत्र, फूल आदि शिवलिंग पर चढ़ाएं। 

    नाग के 8 रूपों अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख की पूजा करें। इसके बाद नाग देवता मंत्रों का जाप करें। इसके बाद नागों के निमित्त दान दें। 

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    नाग देवता का ये मंत्र पढ़ें  

    सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।

    ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥

    ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।

    ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥

    ऐसा करने से काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) का प्रभाव भी कम होता है। इस दिन राहु के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए "ओम् भ्रां भ्रीं, भ्रौं सः राहवे नमः" और केतु की परेशानियों से मुक्ति के लिए "ओम् स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः" मंत्रों का जाप 108 बार करें। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।