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Mahashivratri 2020 Puja Vidhi: महाशिवरात्रि पर ऐसे करें शिव आराधना, जानें पूजा सामग्री, विधि, मंत्र, शिव चालीसा, आरती एवं कथा

Mahashivratri Puja Vidhi महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा कैसे करें? यहां जानें​ शिवरात्रि पूजा विधि मंत्र शिव चालीसा आरती एवं कथा के बारे में।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 03:03 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 03:51 PM (IST)
Mahashivratri 2020 Puja Vidhi: महाशिवरात्रि पर ऐसे करें शिव आराधना, जानें पूजा सामग्री, विधि, मंत्र, शिव चालीसा, आरती एवं कथा
Mahashivratri 2020 Puja Vidhi: महाशिवरात्रि पर ऐसे करें शिव आराधना, जानें पूजा सामग्री, विधि, मंत्र, शिव चालीसा, आरती एवं कथा

Mahashivratri Puja Vidhi: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे, इसलिए दिन को महा​शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट मिट जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कैसे पूजा की जाए और पूजा की क्या सामग्री होनी चाहिए, यह एक बड़ा प्रश्न है। हम आपको बता रहे हैं कि ​महाशिवरात्रि की पूजा विधि, सामग्री, मंत्र, कथा और शिव चालीसा के बारे में।

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महाशिवरात्रि पूजा सामग्री

इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फरवरी शुक्रवार को है। महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व ही पूजा सामग्री का प्रबंध कर लेना अच्छा रहेगा। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आपको पूजा सामग्री में भांग, मदार, धतूरा, गाय का दूध, चन्दन, रोली, मौली, चावल, कपूर, बेलपत्र, केसर, दही, शहद, शर्करा, फल, गंगाजल, जनेऊ, इत्र, कुमकुम, पुष्पमाला, खस, शमी पत्र, रत्न-आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, लौंग, सुपारी, पान, दक्षिणा और बैठने के लिए आसन आदि का प्रबंध करना होगा।

महाशिवरात्रि पूजा विधि

महाशिवरात्रि के प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल पर पूजा सामग्री रख लें। अपने बैठने का आसन ऐसे रखें कि आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रहे। अब आप वेदी पर कलश स्थापना करके भगवान शिव एवं नंदी की मूर्ति स्थापित करें।

अब ए​क पात्र में जल भरकर पंचामृत बनाएं। अब भगवान शिव को जल से अभिषेक करें और भांग, धतुरा, शमी का पत्ता, बेलपत्र, अक्षत्, गाय का दूध, लौंग, चंदन, कमलगट्टा समेत अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें। नंदी को भी पूजा सामग्री चढ़ाएं। धूप, गंध आदि भगवान शिव को चढ़ाएं। बेलपत्र को उल्टा करके भगवान शिव पर चढ़ाएं। ये सभी वस्तुएं अर्पित करते समय ओम नम: शिवाय मंत्रोच्चार करें।

इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती उतारें। महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखें और फलाहार करते हुए सायंकाल या रात्रिकाल में शिवजी की स्तुति पाठ करें। रात्रि जागरण करते हैं तो चार आरती के विधान का पालन करें। इस दिन शिव पुराण का पाठ करें तो भी उत्तम होगा।

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शिव एकादशाक्षरी मंत्र

ओम नम: शिवाय शिवाय नम:। पूजा के बाद इस मंत्र का अधिक से अधिक बार जाप करने से वर्ष भर आप पर शिव कृपा बनी रहेगी।

शिव स्तुति मंत्र

ओम नम: श्म्भ्वायच मयोंभवायच

नम: शंकरायच मयस्करायच

नम: शिवायच शिवतरायच।।

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शिव चालीसा

दोहा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥

भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाए। मुंडमाल तन छार लगाए॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नंदि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दु:ख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्रहीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥

त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

दोहा

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥


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