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    Lakshmi Puja: इस दिव्य स्तोत्र के पाठ से बन जाती है बिगड़ी किस्मत, पूरी होती है मनचाही मुराद

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 07:30 PM (IST)

    शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है, जिनकी पूजा से सुख, धन और शांति मिलती है। आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाने और मां लक्ष्मी की कृपा प ...और पढ़ें

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    धन की देवी मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lakshmi Narayan Stotra: शुक्रवार का दिन बेहद खास होता है। यह दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सुख, शोहरत, धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। साथ ही परिवार में सुख और शांति बनी रहती है। इसके अलावा, आर्थिक विषमता भी दूर होती है।

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     maa laxmi

    ज्योतिष भी आर्थिक संकट से निजात पाने के लिए देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद भक्ति भाव से पूजा करें। साथ ही पूजा के समय लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ करें।

    श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम्

    चक्रं विद्या वर घट गदा दर्पणम् पद्मयुग्मं दोर्भिर्बिभ्रत्सुरुचिरतनुं मेघविद्युन्निभाभम् ।

    गाढोत्कण्ठं विवशमनिशं पुण्डरीकाक्षलक्ष्म्यो-रेकीभूतं वपुरवतु वः पीतकौशेयकान्तम् ॥

    शंखचक्रगदापद्मकुंभाऽऽदर्शाब्जपुस्तकम्।

    बिभ्रतं मेघचपलवर्णं लक्ष्मीहरिं भजे ॥

    विद्युत्प्रभाश्लिष्टघनोपमानौ शुद्धाशयेबिंबितसुप्रकाशौ।

    चित्ते चिदाभौ कलयामि लक्ष्मी- नारायणौ सत्त्वगुणप्रधानौ ॥

    लोकोद्भवस्थेमलयेश्वराभ्यां शोकोरुदीनस्थितिनाशकाभ्याम्।

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    सम्पत्सुखानन्दविधायकाभ्यां भक्तावनाऽनारतदीक्षिताभ्याम् ।

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    दृष्ट्वोपकारे गुरुतां च पञ्च-विंशावतारान् सरसं दधत्भ्याम् ।

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    क्षीरांबुराश्यादिविराट्भवाभ्यां नारं सदा पालयितुं पराभ्याम् ।

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    दारिद्र्यदुःखस्थितिदारकाभ्यां दयैवदूरीकृतदुर्गतिभ्याम्

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    भक्तव्रजाघौघविदारकाभ्यां स्वीयाशयोद्धूतरजस्तमोभ्याम्।

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    रक्तोत्पलाभ्राभवपुर्धराभ्यां पद्मारिशंखाब्जगदाधराभ्याम्।

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    अङ्घ्रिद्वयाभ्यर्चककल्पकाभ्यां मोक्षप्रदप्राक्तनदंपतीभ्याम्।

    नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

    इदं तु यः पठेत् स्तोत्रं लक्ष्मीनारयणाष्टकम्।

    ऐहिकामुष्मिकसुखं भुक्त्वा स लभतेऽमृतम् ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।