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    Shri Laxmi Chalisa: धन की देवी को प्रसन्न करने का महामंत्र, हर शुक्रवार करें श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 05:00 AM (IST)

    शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना फलदायी माना जाता है। ऐसे में जो साधक मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाह ...और पढ़ें

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    Shri Laxmi Chalisa Lyrics in hindi (AI Generated Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैसे, तो मां लक्ष्मी का स्मरण प्रतिदिन करना चाहिए, लेकिन शुक्रवार का दिन विशेष रूप से धन की देवी के लिए समर्पित है। इसलिए, शुक्रवार के दिन लक्ष्मी चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं श्री लक्ष्मी चालीसा।

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    श्री लक्ष्मी चालीसा (Shri Laxmi Chalisa Lyrics)

    दोहा

    मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।

    मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥

    सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।

    ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥

    सोरठा

    यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।

    सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

    ॥ चौपाई ॥

    सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥

    तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥

    जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥

    तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥

    जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥

    विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।

    केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥

    कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥

    ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥

    क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥

    चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥

    जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

    स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥

    तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥

    अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥

    तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥

    मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥

    तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥

    और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥

    ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥

    त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥

    जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥

    ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।

    पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥

    विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥

    पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

    सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥

    बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

    प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥

    बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

    करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥

    जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥

    तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥

    मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥

    भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥

    बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥

    नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥

    रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

    कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥

    रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥

    दोहा

    त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।

    जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥

    रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।

    मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥

    ।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

    लक्ष्मी चालीसा पाठ के लाभ

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    (AI Generated Image)

    धन-संपत्ति - दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-संपत्ति आती है।

    रोग निवारण - जो साधक इसे ध्यान से सुनता या पढ़ता है, उसे रोगों से मुक्ति मिलती है।

    कष्टों से मुक्ति - देवी लक्ष्मी भक्तों के सभी संकटों का नाश करती हैं।

    श्री लक्ष्मी चालीसा का भावार्थ (Meaning of Shri Laxmi Chalisa)

    श्री लक्ष्मी चालीसा केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि मां महालक्ष्मी के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रार्थना है। इसका संक्षिप्त भावार्थ इस प्रकार है -

    1. आवाहन और स्तुति: भक्त मां लक्ष्मी से प्रार्थना करता है कि वे उसके हृदय में वास करें और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें। भक्त उन्हें 'सिंधु सुता' (समुद्र की बेटी) और 'विष्णु प्रिया' (भगवान विष्णु की पत्नी) कहकर नमन करता है।

    2. मां का स्वरूप और उत्पत्ति - चालीसा में वर्णन है कि जब देवताओं और असुरों ने क्षीर सागर (समुद्र) का मंथन किया, तब 14 रत्नों के साथ मां लक्ष्मी प्रकट हुईं। 

    3. पाठ करने की विधि और नियम - चालीसा में स्पष्ट किया गया है कि जो व्यक्ति छल, कपट और चतुराई को त्यागकर सच्चे मन से मां की पूजा करता है, उसे ही फल मिलता है। विश्वास और नियम के साथ व्रत और पाठ करने से ही सिद्धि प्राप्त होती है।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    प्रश्न 1: लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने के लिए सप्ताह का कौन-सा दिन सबसे शुभ है?
    उत्तर: वैसे तो लक्ष्मी चालीसा का पाठ रोजाना किया जा सकता है, लेकिन शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। इसलिए, शुक्रवार को इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी और उत्तम माना गया है।

    प्रश्न 2: लक्ष्मी चालीसा के पाठ से क्या मुख्य लाभ मिलते हैं?
    उत्तर: लक्ष्मी चालीसा के अनुसार, इसके पाठ से मनुष्य को ज्ञान, बुद्धि और अपार धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह पाठ दरिद्रता, रोग और शत्रुओं के भय को दूर करता है।

    प्रश्न 3: क्या लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष नियम का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: हां, चालीसा में लिखा है- "तजि छल कपट और चतुराई, पूजहिं विविध भांति मन लाई।" अर्थात, पाठ करते समय मन में किसी के प्रति छल-कपट नहीं होना चाहिए। पूर्ण विश्वास, पवित्रता और एकाग्रता के साथ ही पाठ करना चाहिए।

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