Hariyali Teej vs Hartalika Teej: हरियाली और हरितालिका तीज में है अंतर, जानिए कौन सी कब मनाई जाती है
हरियाली तीज और हरतालिका तीज (Hariyali Teej vs Hartalika Teej) दोनों ही व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। मगर उनके महत्व अलग-अलग हैं। हरियाली तीज सावन के महीने में मनाई जाती है। वहीं हरतालिका तीज भाद्रपद में मनाई जाती है। आइए जानते हैं इन दोनों व्रतों में क्या अंतर है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हरियाली तीज और हरतालिका तीज को लेकर कुछ लोग एक ही समझ लेते हैं। मगर, ये दोनों व्रत अलग-अलग होते हैं। हालांकि, ये दोनों ही त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। मगर, दोनों का महत्व अलग-अलग होता है।
महिलाएं इन दोनों व्रतों को विशेष श्रद्धा के साथ मनाती हैं। ये दोनों त्योहार शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ते हैं, जिसकी वजह से इन्हें तीज कहा जाता है। सावन के महीने की तृतीया तिथि को पड़ने वाले व्रत को हरियाली तीज कहा जाता है और इस साल हरियाली तीज 27 जुलाई को मनाई जाएगी।
वहीं, भाद्रपद की तृतीया तिथि को पड़ने वाले व्रत को हरतालिका तीज कहा जाता है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा।
दोनों व्रतों का महत्व
इन दोनों व्रतों में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत करती हैं। वहीं, सुयोग्य वर की प्राप्ति की कामना से कुंवारी कन्याएं इन दोनों ही तिथियों को शिव-पार्वती की पूजन और व्रतों करती हैं।
मिलन का उत्सव है हरियाली तीज
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कई जन्मों की तपस्या के बाद माता पार्वती को इसी दिन भगवान शिव को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का उत्सव है। मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पति की दीर्घ आयु की कामना से महिलाएं इस व्रत को करती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं सज संवरकर सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन सौभाग्य का प्रतीक माने जाने वाले हरे रंग के कपड़े, चूड़ियां, बिंदी और मेहंदी आदि महिलाएं लगाकर तैयार होती हैं।
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कठोर तपस्या का प्रतीक हरतालिका तीज
हरतालिका तीज को सबसे कठिन व्रतों में से है। इस व्रत को निर्जला यानी बिना पानी पिए रखा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर वन में बिना अन्न-जल ग्रहण किए कठोर तपस्या की थी।
उन्होंने बालू से शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया था। मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने ही अखंड सौभाग्य की कामना से किया था। विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं। मिट्टी का शिवलिंग बनाकर या शिव-पार्वती की मूर्ति रखकर ये व्रत किया जाता है।
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