Amarnath Yatra: कबूतर देखे बिना अधूरा माना जाता है बाबा बर्फानी के दर्शन, सदियों से चली आ रही है परंपरा
बाबा बर्फानी की महिमा अपरंपार है। बाबा बर्फानी को अमरनाथ और अमरेश्वर भी कहा जाता है। अमरनाथ जी के शरणागत साधकों को शिव लोक में स्थान मिलता है। साथ ही पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बड़ी संख्या में साधक मनोकामना पूर्ति के लिए बाबा बर्फानी के दर्शन हेतु अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra tradition) करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल सावन महीने में अमरनाथ यात्रा की जाती है। इस साल 03 जुलाई से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो रही है। वहीं, सावन पूर्णिमा तिथि पर अमरनाथ यात्रा का समापन होगा। आसान शब्दों में कहें तो 03 जुलाई से अमरनाथ यात्रा का प्रारंभ होगा और 09 अगस्त के दिन समापन होगा। अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन सेवा शुरू हो चुकी है। भक्तजन ऑनलाइन सेवा के माध्यम से अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) कर सकते हैं।
इस शुभ अवसर पर बाबा बर्फानी के दर्शन किए जाते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि अमरनाथ यात्रा करने से अश्वमेघ यज्ञ समान फल मिलता है। वहीं, अमरनाथ जी के दर्शन से साधक को अमोघ और अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
कहते हैं कि बाबा बर्फानी के दर्शन से जीवन धन्य हो जाता है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु देश और विदेश से बाबा बर्फानी के दर्शन (Baba Barfani darshan) के लिए अमरनाथ यात्रा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कबूतर देखे बिना बाबा बर्फानी के दर्शन अधूरा माना जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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क्यों कबूतर के दर्शन है जरूरी? (Baba Barfani pigeon story)
देवों के देव महादेव की लीला अपरंपार है। अपनी लीला से भगवान शिव सृष्टि की रक्षा करते हैं। इसके लिए भगवान शिव को अनादि कहा जाता है। भृगु संहिता के 'अमरनाथ माहात्म्य' के अनुसार, चिरकाल में देवों के देव महादेव शाम के समय तांडव (नृत्य) कर रहे थे। उस समय ''महाडामरुक गण' भी नृत्य (नाच) करने लगे। उस समय महाडामरुक गणों ने ''कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु'' कहना शुरू कर दिया।
यह देख और सुन देवों के देव महादेव क्रोधित हो उठें। उन्होंने गणों को गुस्से में कहा- तुम लोगों ने ''कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु'' कह कर मेरे नृत्य में बाधा डाली है। इसके लिए मैं, तुमलोगों को शाप देता हूं कि तुम सब चिरकाल तक यहीं रहोगे। साथ ही अनंत काल तक ''कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु'' ही करते रहोगे।
इस स्थान पर आने वाले भक्तजन जो मेरा दर्शन करेंगे, उनका तुम उद्धार करोगे। उनके दुख तुम सभी दूर करोगे। उनके पापों का नाश करोगे। इसके लिए वे तुम्हारा भी दर्शन (Amarnath Yatra customs) करेंगे। कहते हैं कि 'महाडामरुक गण' के दर्शन बिना तीर्थ यात्रा सफल नहीं होती है। ये 'महाडामरुक गण' कबूतर ही हैं।
Source:- jksasb.nic.in
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