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    Trimbakeshwar Jyotirlinga की पूजा करने से कालसर्प दोष होता है दूर, पढ़ें पौराणिक कथा

    Updated: Mon, 07 Jul 2025 01:33 PM (IST)

    भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग हैं। सनातन धर्म में इन ज्योतिर्लिंग पूजा-अर्चा करने का खास महत्व है। ये ज्योतिर्लिंग अलग-अलह जगहों पर स्थापित हैं। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) महाराष्ट्र के नासिक में है। धार्मिक मान्यता है कि यहां पूजा और जलाभिषेक करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है।

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    Trimbakeshwar Jyotirlinga Temple: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े रहस्य

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 जुलाई (Sawan 2025 Date) से सावन के महीने की शुरुआत हो रही है। इस माह को महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। सावन में शिव मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है और रोजाना शिव भक्त विधिपूर्वक महादेव का अभिषेक करते हैं और मंदिरों में भक्त शिव जी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

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    अगर आप इस सावन में किसी मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जरूर जाएं। सावन सोमवार के दिन त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना शुभ माना जाता है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

    कहां है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग?

    त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga Mandir) महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह तीन छोटे-छोटे ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। महादेव भक्त के सभी कष्टों को दूर करते हैं।  

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    त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Trimbakeshwar Jyotirlinga Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक बार ब्रह्मगिरी पर्वत पर एक आश्रम में महर्षि गौतम और उनकी पत्नी वास करते थे। कई ऋषि-मुनि उनके प्रति ईर्ष्या का भाव रखते थे। ऋषि-मुनि ने महर्षि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने का फैसला लिया और महर्षि गौतम पर गौहत्या का आरोप लगाया। इस पाप से छुटकारा पाने के लिए गौतम ऋषि ने भूलोक पर मां गंगा को लाने के लिए शिवलिंग को विराजमान कर तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से महादेव प्रसन्न हुए और उन्होंने महर्षि गौतम से कोई वर मांगने के लिए कहा।

    इस दौरान महर्षि गौतम ने शिव जी से मां गंगा को इस स्थान पर प्रकट होने के लिए कहा। वहीं, देवी गंगा ने शर्त रखी की अगर महादेव इस जगह पर वास करेंगे, तभी मैं भी यहां रहूंगी। इसलिए भगवान शिव ने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया और वह यहीं पर बस गए। इसके बाद गंगा नदी गोदावरी के रूप में बहने लगीं। इस गौतमी नदी के नाम से भी जाना जाता है।  

    Source- https://nashik.gov.in/en/tourist-place/trimbakeshwar-temple/

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।