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    Trimbakeshwar Jyotirling: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, जानिये इस ज्योतिर्लिंग से गंगा का संबंध

    By Ritesh SirajEdited By:
    Updated: Sun, 18 Jul 2021 11:30 AM (IST)

    Trimbakeshwar Jyotirling सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ऋषियों के कहने पर गौतम ऋषि को आश्रम छोड़ के जाना पड़ा। हालांकि ऋषियों ने उनका किसी जगह रहना दूभर कर दिया। ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों एक साथ यहां शिवलिंग में स्थापित हैं।

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    Trimbakeshwar Jyotirling: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, जानिये इस ज्योतिर्लिंग से गंगा का संबंध

    Trimbakeshwar Jyotirling: देश में भगवान शिव के बहुत सारे शिवलिंग हैं, लेकिन शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। इन्हीं में से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक प्रांत से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर के अंदर तीन छोटे-छोटे ज्योतिर्लिंग हैं, इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में देखा जाता है। शिव की पूजा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। इसे किसी ने स्थापित नहीं किया है। यह मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। आज हम इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन करेंगे।

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    प्रचलित कथा के अनुसार, प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या अपने पति ऋषि गौतम के साथ रहती थीं। इसी तपोवन में कई और ऋषि पत्नियां भी रहती थीं। एक बार किसी बात पर सभी देवी अहिल्या से नाराज हो गईं। सभी ने अपने पतियों को देवी अहिल्या और ऋषि गौतम का अपकार करने के लिए प्रेरित किया। अन्य सभी ऋषियों ने मिलकर भगवान गणेश की तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न श्री गणेश ने वर मांगने को कहा। सभी ने मिलकर वर मांगा कि प्रभु आप ऋषि गौतम को यहां से निकाल दें।

    गणेश जी इस बात के लिए तैयार नहीं हो रहे थे, लेकिन सभी के आग्रह के आगे गणेश जी को झुकना पड़ा। गणेश जी ने एक दुर्बल गाय का रूप धारण कर लिया और ऋषि गौतम के खेत में चरने लगे। जैसे ही ऋषि गौतम ने गाय को पतली छड़ी से मारकर भगाना चाहा, वह वही गिरकर मर गई। सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ऋषियों के कहने पर गौतम ऋषि को आश्रम छोड़ के जाना पड़ा। हालांकि ऋषियों ने उनका किसी जगह रहना दूभर कर दिया।

    सभी ऋषियों ने कहा कि इस गो हत्या के पाप से प्रायश्चित करने के लिए देवी गंगा को यहां लाना होगा। सभी की बात मानकर गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा शुरू कर दी। गौतम ऋषि की कठोर तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी और माता पार्वती प्रकट हुए। भगवान शिव ने इच्छा अनुसार, वरदान मांगने को कहा। शिव जी की बात सुनकर ऋषि गौतम ने देवी गंगा को उस स्थान पर भेजने का वरदान मांगा। देवी गंगा ने कहा कि यदि शिवजी भी इस स्थान पर रहेंगे, तभी मैं भी यहां रहूंगी।

    ऋषि गौतम के वरदान और गंगा के शर्त को मानकर शिवजी वहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने को तैयार हो गए। गंगा नदी गौतमी के रूप में वहां बहने लगीं। गौतमी नदी का एक नाम गोदवरी भी है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों एक साथ यहां स्थापित हैं।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

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