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    Shri Sidhbali Temple: सिद्धबली मंदिर में दर्शन करने से मनोकामना होती है पूरी, कैसे पड़ा इसका नाम?

    Updated: Wed, 27 Nov 2024 04:34 PM (IST)

    मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से जातक के संकट दूर होते हैं और मंगलवार का दिन बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन साधक हनुमान जी के दर्शन के लिए मंदिर भी जाते हैं। ऐसे में चलिए हम आपको हनुमान जी को समर्पित एक ऐसे मंदिर (Shri Sidhbali Temple History) के बारे में बताएंगे जहां दर्शन करने से मुरादें पूरी होती हैं।

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    Shri Siddhbali Mandir कैसे पड़ा श्री सिद्धबली मंदिर का नाम?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मंगलवार का दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को बेहद प्रिय है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सभी संकट दूर होते हैं। अगर आप अपनी मनोकामना पूरी करना चाहते हैं, तो उत्तराखंड के कोटद्वार में स्थित श्री सिद्धबली मंदिर (Shri Sidhbali Mandir) अवश्य जाएं। यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में दर्शन करने से बजरंगबली श्रद्धालु की सभी मुरादें पूरी करते हैं और मुरादें पूरी होने के बाद लोग मंदिर में भंडारा करवाते हैं। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं मंदिर से जुड़ी महत्वूर्ण बातों के बारे में।  

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    कैसे पड़ा इस मंदिर का नाम? (Shri Sidhbali Temple History)

    पौराणिक कथा के अनुसार, गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। उन्हें भक्ति आंदोलन का जनक माना जाता है। गोरखनाथ को उत्तराखंड के कोटद्वार में सिद्धि प्राप्त हुई थी, जिसकी वजह से उन्हें सिद्धबाबा कहा जाता है। गोरख पुराण के अनुसार, गोरखनाथ के गुरु का नाम गुरू मछेंद्र नाथ था। वह एक बार बजरंगबली जी की आज्ञा से त्रिया राज्य की रानी मैनाकनी के साथ रह रहे थे।

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    जब इस बात के बारे में गोरखनाथ को जानकारी प्राप्त हुई, तो वह गुरु मछेंद्र नाथ को रानी मैनाकनी से मुक्त कराने को चल पड़े। ऐसी मान्यता है कि सिद्धबली (Shri Sidhbali Temple Significance) में हनुमान जी ने अपना रूप बदल कर गुरु गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया। इसके बाद दोनों के बीच युद्ध हुआ। इस दौरान दोनों किसी को हरा नहीं पाए। इसके बाद हनुमान जी ने अपना असली रूप धारण किया और गुरु गोरखनाथ से वरदान मांगने को कहा। ऐसे में गुरु गोरखनाथ ने हनुमान से इसी जगह पर उनके पहरेदार के रूप में रहने की प्रार्थना की।

    यह भी मान्यता है कि इसी स्थल पर सिखों के गुरु गुरु नानक देव और एक मुस्लिम फकीर ने भी पूजा-अर्चना की थी। इसी वजह से इस मंदिर को श्री सिद्धबली मंदिर के नाम से जाना जाता है।

     

    सभी मुरादें होती हैं पूरी

    वर्तमान में श्री सिद्धबली मंदिर लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में देखने को मिलता है। मान्यता है कि मंदिर में दर्शन करने से श्रद्धालु की सभी मुरादें पूरी होती हैं और लोग अपनी मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में भंडारे का आयोजन करवाते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।