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    Jwala Devi Temple: एक ऐसा मंदिर जहां दिन-रात जलती है ज्वाला, बेहद निराला है ये देवी मंदिर

    Updated: Tue, 19 Nov 2024 04:14 PM (IST)

    ज्वाला देवी मंदिर को बेहद ही कल्याणकारी माना जाता है। यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले (Jwala Devi Temple Himachal) में कालीधार पहाड़ी के बीच में स्थित है। यह धाम देवी ज्वाला को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस देवी धाम में एक बार दर्शन करने से सभी दुखों का अंत हो जाता है तो आइए इस पवित्र धाम की विशेषता के बारे में जानते हैं।

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    Jwala Devi Temple: मंदिर में जल रही ज्वाला आज भी है एक रहस्य।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत में मां दुर्गा के अनेकों धाम हैं, जहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। उन्हीं में से एक ज्वाला देवी मंदिर है, जहां एक बार दर्शन से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले (Jwala Devi Temple Himachal) में कालीधार पहाड़ी के बीच में स्थित ज्वाला देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस देवी धाम को ज्वालामुखी के नाम से भी जाना जाता है। जहां की अग्नि आज तक शांत नहीं हुई है। ऐसा कहा जाता है कि कलयुग में ही इस मंदिर की ज्वाला शांत होगी, जो लोग देवी की कृपा प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस मंदिर में अवश्य जाना चाहिए, जिसकी महिमा अपने आप में बहुत विशाल है, तो आइए इसके महत्वपूर्ण और रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं।

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    किसने करवाया था इस मंदिर का निर्माण? (Who Had Built This Temple?)

    कांगड़ा में प्रसिद्ध ज्वालाजी मंदिर ज्वलंत मुख वाली देवी ज्वाला को समर्पित है। इस मंदिर को देवी-महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी के नाम पर नौ स्थायी ज्वालाओं का घर माना जाता है।

    बता दें, मां ज्वाला देवी के मंदिर का निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था। इसके बाद 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद ने इसका पुननिर्माण करवाया था।

    मंदिर में जल रही ज्वाला आज भी है एक रहस्य (Jwala Devi Temple Secrets)

    आपको बता दें कि ज्वाला देवी मंदिर में बिना तेल और बाती के नौ ज्वालाएं सदियों से जल रही हैं, जो मां दुर्गा के 9 स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। वहीं, मंदिर में जल रही ज्वाला के पीछे के कारणों को जानने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन इसके पीछे के सच को आज तक कोई नहीं जान पाया है। वैज्ञानिकों के लाख प्रयासों के बावजूद उनके हाथ कुछ नहीं लगा।

    हालांकि, इससे देवी भक्तों का विश्वास और भी अटूट हो गया है। कहते हैं कि इस दिव्य धाम में एक बार दर्शन से भक्तों की खाली झोली भर जाती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।