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    Omkareshwar Temple: इस स्थान को कहा जाता है दूसरा केदारनाथ, जहां सर्दियों में विराजते हैं बाबा केदार

    उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है क्योंकि इस स्थान पर कई पवित्र धाम स्थित हैं। केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन आज हम आपको केदारनाथ में ही स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे दूसरे केदारनाथ के नाम से जाना जाता है। चलिए जानते हैं इस विषय में।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 06 Nov 2024 03:17 PM (IST)
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    Omkareshwar Temple: इस स्थान को कहा जाता है दूसरा केदारनाथ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चारधाम यात्रा में से एक केदारनाथ भी है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मान्यता है कि भगवान शिव विश्राम करते हैं। भगवान शिव के इस रूप के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। ऐसे में जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर बंद किया जाता है, तब आप बाबा केदार के दर्शन इस स्थान पर कर सकते हैं।

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    इसलिए कहते हैं दूसरा केदारनाथ

    गर्मियों में केदारनाथ मंदिर में ही बाबा केदार के दर्शन किए जाते हैं। लेकिन सर्दियों के मौसम में जब 06 महीनों के लिए केदारनाथ मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं, तब बाबा केदार का पंचमुखी विग्रह ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित किया जाता है, जिसे पंचगद्दी स्थल के नाम से भी जाना जाता है। भगवान केदार की शीतकालीन गद्दीस्थल होने के कारण इसे दूसरा केदारनाथ भी कहा जाता है।

    भगवान पंचकेदार के होते हैं दर्शन

    ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव का यह ऐसा धाम है, जहां आप भगवान पंचकेदार यानी भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार मध्यमेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ, चतुर्थ केदार रुद्रनाथ व पंचम केदार कल्पेश्वर के एक साथ दर्शन कर सकते हैं। माना जाता है कि शीतकाल में जो भी भक्त ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में बाबा केदार के पंच गद्दीस्थल का दर्शन करते हैं, उन्हें केदारनाथ धाम में दर्शन करने जितना ही पुण्य फल प्राप्त होता है।

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    कैसे पड़ा यह नाम

    इस मंदिर के निर्माण की कथा द्वापर युग से जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बाणासुर, भगवान शिव का परम भक्त था। उसकी बेटी का नाम उषा था, जिसका विवाह भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध से इसी स्थान पर हुआ था। देवी उषा के नाम पर इस तीर्थ स्थल को उषामठ के नाम से जाना जाता था, लेकिन समय के साथ इसका नाम उखामठ और फिर ऊखीमठ नाम पड़ा गया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।