Bangladesh Shakti Peeths: पड़ोसी देश में मौजूद हैं माता के 7 पावन धाम, जानें बांग्लादेश के इन शक्तिपीठों का रहस्य और महत्व
बांग्लादेश में सात प्रसिद्ध शक्तिपीठ हैं, जहाँ देवी सती के विभिन्न अंग गिरे थे। इन शक्तिपीठों में जेसोरेश्वरी, सुगंधा, चट्टल मां भवानी, जयं ...और पढ़ें

शक्तिपीठ की पौराणिक कथा और महिमा

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दिन जगत की देवी मां दुर्गा और उनके रूपों की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इसके साथ ही नवरात्र के दिनों में भी देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।

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धार्मिक मत है कि जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।

सनतन शास्त्रों में देवी मां दुर्गा की महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। ममतामयी देवी मां बेहद कृपालु और दयालु हैं। अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। वहीं, दुष्टों का संहार करते हैं। अतः साधक भक्ति भाव से देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा करते हैं। साथ ही शक्तिपीठ स्थलों की धार्मिक यात्रा कर मां की कृपा के भागी बनते हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी 7 शक्तिपीठ (Shakti Peeth Bangladesh) हैं, जो अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। बड़ी संख्या में भक्तजन मां के दर्शन हेतु शक्तिपीठ की धार्मिक यात्रा करते हैं। आइए, इन 7 शक्तिपीठों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
जेसोरेश्वरी शक्तिपीठ
जेसोरेश्वरी शक्तिपीठ (Jeshoreshwari Kali Temple) देवी मां काली को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला अद्भुत और अनुपम है। कहा जाता है कि इस मंदिर का वास्तुकला 13 वीं शताब्दी के समय की है। इसके लिए वास्तुकला में 13 वीं सदी का झलक देखने को मिलता है। यह मंदिर बांग्लादेश के सतखिरा जिले में स्थित है।
सनातन शास्त्रों में निहित है कि इस स्थान पर देवी मां सती की हथेलियां गिरी थीं। तत्कालीन समय से इस स्थान पर देवी मां काली की पूजा की जाती है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में जेसोरेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर की यात्रा की थी।
सुगंधा शक्तिपीठ
सुगंधा शक्तिपीठ (Sugandha Shaktipeeth) देवी मां तारा को समर्पित है। यह मंदिर सुगंधा नदी के तट पर स्थित है। धार्मिक मत है कि सुगंधा शक्तिपीठ पर देवी मां सती का नाक गिरा था। सुगंधा शक्तिपीठ मंदिर बांग्लादेश के शिकारपुर में है। इस मंदिर का रक्षक भैरव हैं।
बांग्लादेश के शिकारपुर में स्थित सुगंधा शक्तिपीठ हिन्दुओं के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है। इस मंदिर में स्थित प्रतिमाओं की कई बार चोरी हुई है। वर्तमान समय में मंदिर में प्रतिमा स्थित है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन हेतु सुगंधा शक्तिपीठ जाते हैं।
चट्टल मां भवानी शक्तिपीठ
चट्टल मां भवानी शक्तिपीठ देवी मां दुर्गा को समर्पित मंदिर है। बांग्लादेश के चटगांव जिले में अवस्थित चट्टल मां भवानी शक्तिपीठ चंद्रनाथ पर्वत के शिखर पर है। धार्मिक मत है कि देवी मां सती की ठुड्डी का अंश इस स्थल पर गिरा था। अतः शक्तिपीठ को भवानी शक्तिपीठ भी कहा जाता है। वैष्णों देवी की तरह चंद्रनाथ पर्वत के शीर्ष पर भैरव देव का मंदिर है।
जयंती शक्तिपीठ
देवी मां सती को समर्पित जयंती शक्तिपीठ बांग्लादेश के सिलहट जिले में अवस्थित है। यह मंदिर सिलहट जिले के बौरबाग गांव में है। धार्मिक मत है कि चिर काल में जब भगवान विष्णु ने मां सती के शव को क्षत-विक्षित कर दिए तो देवी सती की बाईं जांघ जयंती शक्तिपीठ में गिरी थी। बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन हेतु जयंती शक्तिपीठ आते हैं। भारत के मेघालय में भी नर्तियांग दुर्गा मंदिर है, जो देवी मां सती को समर्पित है। साधक देवी दर्शन के लिए नर्तियांग दुर्गा मंदिर की धार्मिक यात्रा करते हैं। जयंती शक्तिपीठ लगभग 6 एकड़ में फैला है।
महालक्ष्मी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सात शक्तिपीठ में एक महालक्ष्मी शक्तिपीठ है। यह महालक्ष्मी बांग्लादेश सिलहट जिले में है और मंदिर का केंद्र स्थान जोड्नपुर गांव है, जो गोटाटिकर के पास है। यह शक्तिपीठ केंद्र सुख और सौभाग्य की देवी महालक्ष्मी को समर्पित है।
सनातन पुराण में वर्णित है कि देवी मां सती की गर्दन यानी ग्रीवा यहीं पर गिरी थी। शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी शक्तिपीठ में भक्तों की भीड़ रहती है। भक्तजन श्रद्धा भाव से देवी मां शक्ति की पूजा करते हैं। कहते हैं कि कोई भक्त मां के दरबार से खाली हाथ नहीं लौटता है।
श्रावणी शक्तिपीठ
देवी मां सती को समर्पित श्रावणी शक्तिपीठ बांग्लादेश (The Bridge Chronicle) के चटगांव जिले में स्थित है। वहीं, मंदिर का प्रमुख केंद्र स्थान कुमीरा रेलवे स्टेशन के नजदीक है। मान्यता है कि श्रावणी शक्तिपीठ स्थल पर माता सती की रीढ़ की हड्डी गिरी थी। यह मंदिर सत्या देवी को समर्पित है। वहीं, श्रावणी शक्तिपीठ मंदिर में भैरव देव भी विराजते हैं, जो निमिषवैभव के नाम से जाने जाते हैं। कुमीरा रेलवे स्टेशन का नाम कुमारी से लिया गया है। श्रावणी शक्तिपीठ न केवल बांग्लादेश, बल्कि भारत के लिए आस्था का केंद्र है। बड़ी संख्या में भक्तजन माता के दरबार दर्शन हेतु जाते हैं।
अपर्णा शक्ति पीठ
बांग्लादेश के सात शक्तिपीठ का अंतिम प्रमुख मंदिर अपर्णा शक्ति पीठ है। यह शक्ति पीठ बांग्लादेश के शेरपुर जिले में अवस्थित है। वहीं, अपर्णा शक्ति पीठ का प्रमुख केंद्र स्थल करतोया नदी के तट पर भवानीपुर गांव में है।

यह मंदिर मां भवानी को समर्पित है, जिसे स्थानीय भाषा में अर्पणा भी कहा जाता है। भक्तजन श्रद्धा भाव से मां अर्पणा की पूजा करते हैं। यह मंदिर शेरपुर से 28 किलोमीटर दूर है। प्राकृतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह शक्तिपीठ करतोया, यमुनेश्वरी और बूढ़ी तीस्ता के संगम स्थल पर अवस्थित है। इस स्थान पर देवी मां सती का बांया पैर गिरा था।
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