इस मंदिर के जल में स्नान करने से त्वचा रोग से मिलती है मुक्ति, यहां भगवान श्रीराम ने की थी तपस्या
देशभर में भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित कई मंदिर हैं जो किसी वजह या फिर अन्य कारण से प्रसिद्ध हैं। लेकिन आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक ऐसा शिव मंदिर (Manikaran Shiv Temple) है। जहां मां पार्वती कान की बाली (कर्णफूल) गिरी थी। मंदिर के जल में स्नान करने से त्वचा रोग से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन शास्त्रों में भगवान शिव और मां पार्वती की महिमा का विशेष वर्णन देखने को मिलता है। ऐसी मान्यता है कि विधिपूर्वक शिव परिवार की उपासना करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं और सभी तरह की समस्या से छुटकारा मिलता है। देशभर में महादेव को समर्पित कई मंदिर हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के बीच स्थित एक मंदिर है। जिसका नाम मणिकरण शिव मंदिर (Manikaran Shiv Temple) है।
यह धार्मिक स्थल हिंदू और सिख धर्म से जुड़े लोगों के लिए प्रमुख है। मणिकरण से होकर पार्वती नदी बहती है। इस नदी के एक तरफ महादेव को समर्पित शिव मंदिर है। वहीं, दूसरी तरफ मणिकरण गुरुद्वारा है। ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
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पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में नदी में क्रीड़ा करते हुए मां पार्वती के कान की बाली गिर गई थी। इसके बाद भगवान शिव ने बाली को ढूंढने का काम किया। लेकिन बाली जल के तेज बहाव से पाताल लोक पहुंच गई थी। इसके बाद महादेव ने बाली को ढूंढने के लिए अपने गणों को भेजा, जिसके बाद बाली का कुछ पता नहीं चला। बाली न मिलने पर महादेव नाराज हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोली। भगवान शिव के क्रोधित होने की वजह से नदी का पानी उबलने लगा।
महादेव के क्रोधित होने पर नैना देवी अवतरित हुईं। उन्होंने शेषनाग से महादेव को बाली देने के लिए कहा। शेषनाग ने नैना देवी की आज्ञा का पालन किया। इसके बाद शेषनाग ने फुंकार भरी और धरती पर अधिक संख्या में मणियां आ गईं, जिसके बाद मां पार्वती को कान की बाली मिली। इसी वजह यह जगह कर्णफूल कहलाई।
ऐसी मान्यता है कि जो इंसान इस पार्वती में नदी स्नान (Sacred water bath) करता है। उसे सभी तरह के त्वचा (Skin disease cure) से संबंधित रोग से छुटकारा मिलता है। यह भी माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने महादेव की उपासना की थी। मणिकरण गुरुद्वारा सिखों के धार्मिक स्थलों के लिए विशेष महत्व रखता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव की यहां की यात्रा की याद में बना था।
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