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    Damoh Parshuram Temple: इस मंदिर में परशुरामजी के दर्शन मात्र से पुत्र रत्न की होती है प्राप्ति

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 03 Dec 2024 02:36 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि दमोह स्थित परशुराम मंदिर (Damoh Parshuram Temple) में अक्षय तृतीया पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस शुभ अवसर पर हवन और पूजन किया जाता है। भगवान परशुराम की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। बड़ी संख्या में साधक देव दर्शन हेतु मंदिर जाते हैं।

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    Damoh Parshuram Temple: परशुराम मंदिर का इतिहास

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान परशुराम त्रेता युग के समकालीन थे, जो जगत के पालनहार भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। सनातन शास्त्रों में निहित है कि महर्षि भृगु के गृह (घर) पर भगवान परशुराम अवतरित हुए थे। भगवान परशुराम का अवतरण वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था। इस शुभ अवसर पर अक्षय तृतीया मनाया जाता है। अतः अक्षय तृतीया पर परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भक्ति भाव से भगवान परशुराम की पूजा की जाती है। देशभर में भगवान परशुराम के कई प्रमुख मंदिर हैं। इनमें एक मंदिर मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित है। इस मंदिर में परशुरामजजी के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। इसके साथ ही संतान प्राप्ति के इच्छुक जातक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। आइए, दमोह स्थित परशुरामज मंदिर (Damoh Parshuram Temple) के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    परशुराम मंदिर दमोह

    इतिहासकारों की मानें तो मध्य प्रदेश के दमोह में स्थित परशुराम मंदिर दशकों पुराना है। इस मंदिर का निर्माण कार्य साल 1982 में शुरू हुआ था। यह मंदिर 320 फीट ऊंची टेकरी पर है। इसके लिए मंदिर को परशुराम टेकरी भी कहा जाता है। पूर्व में यह मंदिर घने वन से घिरा था। हालांकि, समय के साथ मंदिर परिसर के आसपास विकास हुआ। अब मंदिर जाने के लिए समुचित व्यवस्था है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु परशुरामजी के दर्शन हेतु मंदिर जाते हैं। मंदिर के बारे में मान्यता है कि कोई भी भक्त मंदिर से खाली हाथ नहीं लौटता है। भक्त की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

    परशुराम मंदिर का इतिहास

    स्थानीय लोगों का कहना है कि बैजनाथ श्रीवास्तव को लगातार 12 वर्षों तक भगवान परशुराम ने स्वप्न में दर्शन दिये। सपने में भगवान परशुराम ने बैजनाथ श्रीवास्तव को मंदिर स्थापना करने का आदेश दिया था। तब बैजनाथ श्रीवास्तव ने साल 1981 में बरिया के पेड़ के नीचे खुदाई करवाई। इस पेड़ के नीचे से भगवान परशुराम की प्रतिमा निकली थी। उस समय भगवान परशुराम की विशेष पूजा-अर्चना की गई।

    धार्मिक मान्यता

    स्थानीय लोगों का दमोह स्थित परशुराम मंदिर में विशेष आस्था है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान परशुराम के दर्शन हेतु दमोह जाते हैं। अक्षय तृतीया पर मंदिर में भगवान परशुराम की विशेष पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। धार्मिक मत है की भगवान परशुराम के दर्शन करने से साधक की मनचाही मुराद पूरी होती है। वहीं, नवविवाहित दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।