Chaitra Navratri 2025: देवी सती के 'अंगों' से बने हैं 51 शक्तिपीठ, दर्शन मात्र से दूर होते हैं कष्ट
पौराणिक कथा के मुताबिक जब एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया तो उन्होंने ईर्ष्यावश अपनी पुत्री माता सती और जमाता भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। शिव जी ने माता सती को समझाया कि बिना निमंत्रण के जाना ठीक नहीं होगा। लेकिन माता सती (Mata Sati) शिव जी की बात न मानते हुए यज्ञ में चली गईं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जब उन्होंने वहां देखा कि उनके पिता शिव जी का अपमान कर रहे हैं, तो उन्होंने अग्नि कुंड में अपने शरीर का त्याग कर दिया। जब शिव जी को इस बात का पता चला, तो वह बहुत ही क्रोधित हो गए और वीरभद्र को उत्पन्न किया, जिसने दक्ष का सिर का दिया। इसके बाद भगवान शिव ने माता सती के शरीर को उठाया और सम्पूर्ण विश्व में घूमने लगे।
इससे पूरे विश्व में हाहाकार मच गया, जिसे रोकना जरूरी था। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए। माता सती के अंग व आभूषण जिन स्थानों पर गिरे, आज वहां शक्तिपीठ स्थापित हैं। आज हम आपको इन्हीं 51 शक्तिपीठों (51 Shaktipeeths In India) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका वर्णन देवी पुराण में मिलता है।
देवी के 51 शक्तीपीठ (51 Shakti Peethas Significance)
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- देवी बाहुला - माना जाता है कि पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में माता सती का बायां हाथ गिरा था। आज यहां बहुला शक्तिपीठ मंदिर स्थापित है।
- मंगल चंद्रिका - पश्चिम बंगाल के ही वर्धमान जिले के पास उज्जनि में माता का मांगल्य चंडिका मंदिर विराजमान है। इस स्थान पर देवी सती की दाईं कलाई गिरी थी।
- भ्रामरी देवी - मान्यताओं के अनुसार, पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी में माता सती का बायां पैर गिरा था। आज यहां पर मां सती का भ्रामरी शक्तिपीठ स्थापित है।
- देवी युगाद्या - पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के पास माता सती का युगाद्या शक्तिपीठ विराजमान है। इस स्थान को लेकर मान्यता है कि यहां देवी का दाएं पैर का अगूंठा गिरा था।
- मां कालिका - पश्चिम बंगाल में ही कोलकाता के कालीघाट में कालीघाट शक्तिपीठ स्थापित है। इस पीठ को लेकर मान्यता है कि इस स्थान पर मां के बाएं पैर का अगूंठा गिरा था। यहां पर माता को कालिका नाम से पूजा जाता है।
- किरीट विमला - पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले में किरीट विमला शक्तिपीठ / माता मुक्तेश्वरी मंदिर स्थापित है, जिसे लेकर मान्यता है कि यहां माता का मुकुट गिरा था।
- देवगर्भ - मान्यताओं के अनुसार, पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले में माता सती की अस्थियां गिरी थी। आज इस स्थान पर देवी देवगर्भ के नाम से विराजमान हैं।
- देवी कपालिनी - कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल के ही पूर्व मेदिनीपुर जिले में मां सती की बायीं एड़ी गिरी थी। यहां पर माता के कपालिनी रूप की पूजा की जाती है।
- फुल्लरा - पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में मां सती के होंठ भी गिरे हैं। इस स्थान पर माता सती फुल्लरा नाम से जानी जाती हैं।
- अवंति - माता सती का ऊपरी होंठ मध्य प्रदेश के उज्जयिनी में क्षिप्रा नदी तट पर गिरा था, जहां उन्हें अवंति नाम से जाना जाता है।
- नंदिनी - पश्चिम बंगाल के ही बीरभूम जिले में माता सती के नंदिनी रूप की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी सती के गले का हार गिरा था।
- देवी कुमारी - पश्चिम बंगाल में ही रत्नाकर नदी के पास माता सती का दायां कंधा गिरा था। आज यहां देवी कुमारी नाम से प्रसिद्ध हैं।
- गण्डकी चंडी - नेपाल में गंडकी नदी के तट पर गण्डकी शक्तिपीठ है, जिसे लेकर यह मान्यता है कि यहां माता का मस्तक गिरा था।
- कालिका देवी - ऐसा माना जाता है कि पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले में माता सती के पैर की हड्डी गिरी थी। यहां देवी कालिका के रूप में विद्यमान हैं।
- विमला देवी - मान्यताओं के अनुसार, बांग्लादेश के मुर्शिदाबाद जिले में माता सती के माथे का मुकुट गिरा थी। इस स्थान पर देवी विमला नाम से पूजी जाती हैं।
- मां भवानी - माना जाता है कि बांग्लादेश के ही चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत के शिखर पर मां की दायीं भुजा गिरी थी। यहां मां सती का भवानी शक्तिपीठ स्थापित है।
- सुनंदा - मान्यताओं के अनुसार, बांग्लादेश में शिकारपुर में सुगंधा (सुनंदा) शक्तिपीठ स्थापित है। मान्याताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती की नाक गिरी थी।
- देवी जयंती - बांग्लादेश के ही जयंतिया परगना नामक स्थान पर मां सती की बायीं जांघ गिरी थी। यहां पर देवी का जयंती मंदिर स्थापित है।
- महालक्ष्मी - मान्यताओं के अनुसार, बांग्लादेश के जैनपुर गांव में मां का गला गिरा थी। यहां देवी की पूजा महालक्ष्मी के रूप में होती है।
- यशोरेश्वरी - माना जाता है कि बांग्लादेश के खुलना जिले में मां सती के हाथ और पैर का कुछ भाग गिरा था। यहां पर देवी को यशोरेश्वरी नाम से पूजा जाता है।
- देवी अर्पण - बांग्लादेश के भवानीपुर के बेगड़ा में भी मां का एक शक्तिपीठ स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर देवी के बाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां देवी को अपर्णा के रूप में जाना जाता है।
- देवी इंद्रक्षी - श्रीलंका में भी शक्तिपीठ स्थापित है, जिसे लंका शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर मां के दाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां माता के इंद्रक्षी रूप की पूजा-अर्चना होती है।
- माता ललिता - मान्यताओं के अनुसार, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में प्रयाग संगम में मां सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। यहां माता सती प्रयाग शक्तिपीठ (ललिता देवी मंदिर) स्थापित है।
- देवी मणकर्णी - वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर स्थित मां विशालाक्षी मंदिर भी 51 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि इस स्थान पर मां के कान की मणि गिरी थी, इसलिए उन्हें यहां पर विशालाक्षी या मणकर्णी नाम से पूजा जाता है।
- देवी शिवानी - पौराणिक प्रसंग के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में माता सती का दायां वक्ष गिरा था। यहां पर देवी शिवानी नाम से विराजमान हैं।
- चूड़ामणि - उत्तर प्रदेश के वृंदावन में मां सती के केश की चूड़ामणि गिरी थी। जहां माता सती की पूजा उमा के रूप में की जाती है।
- श्रावणी - तमिलनाडु के देवी का भद्रकाली मंदिर स्थापित है, जिसे लेकर मान्यता है कि इस स्थान पर मां सती की पीठ गिरी थी। यहां पर उन्हें श्रावणी नाम से पूजा जाता है।
- सावित्री - मान्यताओं के अनुसार, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मां सती की एड़ी गिरी थी। इस स्थान पर माता को सावित्री रूप में पूजा जाता है।
- देवी गायत्री - राजस्थान के अजमेर में देवी सती की गायत्री रूप में पूजा होती है। माना जाता है कि गायत्री पर्वत पर मां सती की कलाई गिरी थी।
- मां काली - मध्य प्रदेश के अमरकंटक में शोंदेश शक्तिपीठ स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार, यहां मां सती का बायां नितंब गिरा था।
- देवी नर्मदा - वहीं मध्य प्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा नदी तट के पास मां सती का दायां नितंब गिरा था। यहां पर देवी को नर्मदा नाम से पूजा जाता है।
- देवी नारायणी - तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवंतपुरम मार्ग में मां सती की ऊपरी दाड़ गिरी थी। यहां देवी का नारायणी रूप विराजमान हैं।
- वाराही - उत्तर प्रदेश के पंचसागर में मां सती की निचली दाढ़ गिरी थी। यहां पर देवी की वाराही नाम से पूजा-अर्चना की जाती है।
- श्री सुंदरी - आंध्र प्रदेश के कुरनूल श्रीशैलम में मां सती का दाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां पर देवी को श्री सुंदरी नाम से पूजा जाता है।
- चंद्रभागा - गुजरात के जूनागढ़ जिले में सोमनाथ मंदिर के पास मां का अमाशय गिरा था। यहां देवी की पूजा चंद्रभागा नाम से की जाती है।
- भ्रामरी देवी - महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी घाटी में मां सती की ठोड़ी गिरी थी। यहां पर माता भ्रामरी नाम से पूजित हैं।
- राकिनी देवी - आंध्र प्रदेश में माता सती को समर्पित कोटिलिंग्शेवर मंदिर स्थापित है, जहां उनकी पूजा राकिनी रूप में की जाती है। माना जाता है कि इस स्तान पर मां सती का गाल गिरा था।
- देवी अंबि - राकिनी रूप में राजस्थान के भरतपुर में मां सती के बायें पैर की अंगुली गिरी थी। यहां पर माता सती को अंबि नाम से जाना व पूजा जाता है।
- महाशिरा - नेपाल में भी माता का एक शक्तिपीठ स्थापित है, जो पशुपति मंदिर के पास स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहां देवी के दोनों घुटने गिरे थे। आज यहां गुजयेश्वरी मंदिर स्थापित है, जो मांमहाशिरा या महामाया के रूप की पूजी जाती हैं।
- गंडकी चंडी - नेपाल के पोखरा में गण्डकी नदी के तट पर मुक्तिनाथ मंदिर स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार, इस स्ठान पर देवी का कपोल गिरा था। यहां देवी को गण्डकी रूप में पूजा जाता है।
- जयदुर्गा देवी - कर्नाटक के एक स्थान पर मां सती के दोनों कान गिरे थे। इस स्थान को जयदुर्गा के नाम से जाना जाता है।
- कोट्टरी देवी - पाकिस्तान में भी माता का एक शक्तिपीठ स्थापित है, जिसे हिंगलाज शक्तिपीठ कहा जाता है। यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त की लारी तहलीस में हिंगलाज में स्थापित है। माना जाता है कि यहां देवी सती का सिर गिरा था।
- महिष मर्दिनी - माना जाता है कि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में माता सती की आंखें गिरी थीं। इसलिए इस स्थान पर नैना देवी मंदिर स्थापित है।
- देवी अंबिका - हिमाचल के कांगड़ा जिसे माता सती की जीभ गिरी थी। यहां पर माता सती को समर्पित मां ज्वाला देवी मंदिर स्थापित है।
- देवी महामाया - कश्मीर के पहलगाम स्थित अमरनाथ में मां सती का कंठ गिरा था। यहां देवी का महामाया शक्ति पीठ स्थापित है।
- त्रिपुरमालिनी - पंजाब के जालंधर में माता सती का दायां वक्ष गिरा था। यहां पर मां त्रिपुरमालिनी मंदिर स्थापित है।
- माता अंबाजी - गुजरात के मां अंबाजी मंदिर स्थित है, जहां देवी सती का ह्रदय गिरा था। इस मंदिर में माता भवानी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां एक श्रीयंत्र स्थापित है।
- मां दाक्षायनी - तिब्बत में मानसरोवर के पास मानस शक्तिपीठ स्थापित है। यहां माता सती की दाहिनी हथेली गिरी थी। इस स्थान पर शक्तिपीठ की देवी को दक्षायणी नाम से जाना जाता है।
- देवी विमला - उड़ीसा में भुवनेश्वर में माता सती का विरजा देवी मंदिर स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी की नाभि गिरी थी।
- त्रिपुर सुंदरी - त्रिपुरा के माताबढ़ी पर्वत शिखर के उदरपुर में माता सती का त्रिपुर सुंदरी मंदिर स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी का दायां पैर गिरा था।
- कामाख्या देवी - ऐसा कहा जाता है कि असम के गुवाहाटी के कामगिरी में माता सती की योनि गिरी थी। यहां कामाख्या मंदिर स्थापित है, जो काफी प्रसिद्ध भी है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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