Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kamakhya Temple के 3 बार दर्शन करने से सांसारिक बंधनों से मिलती है मुक्ति, जानें कैसे पड़ा इसका नाम?

    Updated: Sat, 05 Oct 2024 01:33 PM (IST)

    शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवसर पर मां दुर्गा के मंदिरो को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है। इस अवसर पर अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुँचते हैं। वहीं कामाख्या मंदिर (Kamakhya Devi Temple) में भी अधिक भीड़ देखने को मिलती है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्य के बारे में।

    Hero Image
    Kamakhya Devi Temple: कामाख्या मंदिर में नहीं है कोई प्रतिमा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में मां दुर्गा को समर्पित कई मंदिर हैं। इनमें कामाख्या मंदिर (Kamakhya Devi Mandir) भी शामिल है। कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है। मान्यता है कि जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस प्रमुख मंदिर का उल्लेख कालिका पुराण में मिलता है। इसे सबसे पुराना शक्तिपीठ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो साधक इस मंदिर के 3 बार दर्शन कर लेता है, उसे सांसारिक बंधन से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।  

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कैसे पड़ा मंदिर का नाम

    धर्म पुराणों के मुताबिक, जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने चक्र के द्वारा मां सती के  51 हिस्से किए थे। जहां अब कामाख्या मंदिर (Kamakhya Devi Temple History) है। उसी स्थान पर माता की योनी गिरी थी, इसी वजह से इस मंदिर में उनकी कोई प्रतिमा नहीं है। इसी योनि से मां कामाख्या का जन्म हुआ था। जिस वजह से इस मंदिर का नाम कामाख्या पड़ा।

    यह भी पढ़ें: Chauth Mata Mandir: यहां स्थित है चौथ माता का सबसे पुराना मंदिर, दर्शन से मिलता है अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

    क्या है मंदिर की मान्यता?

    धार्मिक मान्यता है कि जो साधक जीवन में इस मंदिर के 3 बार दर्शन कर लेता है। उसे सांसारिक बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर को तंत्र विद्या अधिक जाना जाता है। इस मंदिर में कुंड है, जहां लोग फूल अर्पित कर पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि कुंड देवी सती की योनि का भाग है। इसी वजह से कुंड को ढककर रखा जाता है। ऐसा बताया जाता है कि कुंड में से हमेशा जल का रिसाव होता है।

    कैसे पहुंचे कामाख्या मंदिर?  

    कामाख्या मंदिर के पास गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां से मंदिर की दूरी 20 किमी है। इसके अलावा आप रेल मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। मंदिर के पास गुवाहाटी रेलवे स्टेशन है। यहां से ऑटो या टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।

    यह भी पढ़ें: Bijasan Mata Mandir: बेहद रहस्यमयी है ये मंदिर, जलाभिषेक का जल लगाने से नेत्र रोग से मिलती है मुक्ति

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।