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    Bijasan Mata Mandir: बेहद रहस्यमयी है ये मंदिर, जलाभिषेक का जल लगाने से नेत्र रोग से मिलती है मुक्ति

    Updated: Mon, 30 Sep 2024 03:20 PM (IST)

    भारत में अधिक संख्या में देवी-देवताओं के कई मंदिर हैं जो किसी रहस्य या फिर अन्य वजह से बेहद प्रसिद्ध हैं। एक ऐसा ही मंदिर मध्यप्रदेश के अशोकनगर में स्थित है जिसका नाम बिजासन माता मंदिर (Shree Bijasan Mata Mandir Facts) है। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में मां बिजासन के जलाभिषेक का जल लगाने से नेत्र से छुटकरा मिलता है।

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    Bijasan Mata Temple: मां बिजासन के दर्शन दूर होती है बीमारी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल शारदीय नवरात्र के उत्सव को देशभर में अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के लिए मां दुर्गा के मंदिरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। नवरात्र के दौरान मंदिरों में भक्त अधिक संख्या में मां दुर्गा के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुँचते हैं। अगर आप भी इस बार शारदीय नवरात्र में किसी मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो बिजासन माता मंदिर जरूर जाएं। इस मंदिर में मां बिजासन विराजमान हैं। धार्मिक मत है कि मां बिजासन की प्रतिमा दिन में तीन स्वरूप बार बदलती हैं। मां के जलाभिषेक का जल लगाने से नेत्र रोग ठीक हो जाता है, जिसके बाद श्रद्धालु मां बिजासन (Shree Bijasan Mata Mandir Facts) को सोने-चांदी के नेत्र अर्पित करते हैं। इस कार्यों को कई लोग कर चुके हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अहम बातों के बारे में।

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    दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

    रोजाना मां बिजासन की विशेष पूजा-अर्चना होती है। मां बिजासन का जलाभिषेक सुबह 04 बजे किया जाता है और रात्रि में 08 आरती होती है। इस मंदिर में देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु मां बिजासन की उपासना और दर्शनों के लिए आते हैं।  

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    कैसा है मां बिजासन स्वरूप

    मां बिजासन के दोनों हाथों में नरमुंड हैं। मूर्ति के एक ओर गणपति बप्पा और दूसरी ओर अष्टभुजी मां दुर्गा की मूर्ति विराजमान है। मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जिस श्रद्धालु को आंख से संबंधित कोई समस्या है, तो मां बिजासन के जलाभिषेक के जल को दिन में 3 बार लगाने से नेत्र से संबंधित से समस्या से मुक्ति मिलती है। नेत्र रोग से छुटकारा मिलने के बाद श्रद्धालु मंदिर में सोने-चांदी की आंखें अर्पित करते हैं।  

    कई वर्ष पुराना है मंदिर

    इस मंदिर को कई वर्ष पुराना बताया जाता है। हर महीने की चतुर्दशी तिथि पर मंदिर में अधिक भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर को महाराजा शिवाजीराव होलकर ने बनवाया था।

    दिन में 3 बार बदलता है स्वरूप

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिर में विराजमान मां बिजासन की मूर्ति दिन में 3 बार अपना स्वरूप बदलती है। सुबह में बाल्य अवस्था, दोपहर में युवा अवस्था और संध्या काल में मां बिजासन की वृद्धावस्था में देखने को मिलती है।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।'