Guru Gochar 2025: मई महीने से सोने की तरह चमकेगी इन राशियों की किस्मत, बनने लगेंगे सारे बिगड़े काम
मई के महीने में देवगुरु बृहस्पति और मायावी ग्रह राहु एवं केतु राशि परिवर्तन करेंगे। राहु और केतु के राशि परिवर्तन से मीन और कन्या राशि के जातकों को मायावी ग्रह से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं मिथुन राशि के जातकों को भी गुरु (Guru Gochar 2025) की कृपा से लाभ मिलेगा। लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होगी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मई का महीना कई राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है। इस महीने में देवताओं के गुरु बृहस्पति देव राशि परिवर्तन करेंगे। बृहस्पति देव के राशि परिवर्तन से कई राशि के जातकों के जीवन में बदलाव देखने को मिलेगा। बृहस्पति देव को ज्ञान का कारक माना जाता है। गुरु की कृपा से जातक में सात्विक गुणों का विकास होता है।
ज्योतिषियों की मानें तो देवगुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन करने से राशि चक्र की सभी राशियों पर प्रभाव पड़ेगा। इनमे दो राशि के जातकों को सबसे अधिक लाभ होगा। इन राशियों पर देवगुरु बृहस्पति की कृपा बरसेगी। आइए, दोनों राशि के बारे में सबकुछ जानते हैं-
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वृषभ राशि
बृहस्पति देव के राशि परिवर्तन करने से वृषभ राशि के जातकों को सबसे अधिक लाभ मिल सकता है। इस राशि के जातकों को धन लाभ हो सकता है। खासकर, स्वर्ण आभूषणों से जुड़े लोगों को अधिक फायदा होगा। इसके अलावा, सांख्यिकी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को भी लाभ मिलेगा। धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होगी। सरकारी नौकरी मिलने के योग बन रहे हैं। आप किसी बड़े पद पर आसीन हो सकते हैं। शत्रुओं पर आपको जीत मिलेगी। गुरु मजबूत करने के लिए लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय श्रीफल (नारियल) अर्पित करें।
सिंह राशि
देवगुरु बृहस्पति की कृपा से कर्क राशि के जातकों को धन लाभ होगा। सेहत अच्छी रहेगी। आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलेगी। भूमि और भवन संबंधी सभी काम पूरे कर लें। अनदेखी बिल्कुल न करें। श्रेष्ठ लोगों से दोस्ती होगी। सरकार द्वारा सम्मानित हो सकते हैं। भाग्य में वृद्धि होगी। इससे बिगड़े काम भी बनेंगे। आय के कई साधन बनेंगे। शत्रुओं पर विजय मिलेगी। पिता जी की कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से करियर को नया आयाम मिलेगा। गुरुवार के दिन पीले चीजों का दान करें।
विष्णु मंत्र
1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
4. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
5. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
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