Varuthini Ekadashi पर बन रहे हैं ये कल्याणकारी योग, जानें किस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से मिलेगा मनचाहा फल
वैशाख महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इस महीने में अक्षय तृतीया भी मनाया जाता है। यह पर्व शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में वरूथिनी एकादशी का खास महत्व है। यह पर्व पूर्णतया जग के नाथ भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है।
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ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर एक साथ कई शुभकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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वरूथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरूवार 24 अप्रैल को वरूथिनी एकादशी है। यह पर्व वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 24 अप्रैल के दिन वरूथिनी एकादशी का व्रत रख सकते हैं। जबकि, 25 अप्रैल को पारण किया जाएगा। पारण के लिए शुभ समय सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 23 मिनट तक है। इस दौरान साधक पूजा-पाठ के बाद पारण कर सकते हैं।
शिववास योग
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव सर्वप्रथम (सबसे पहले) कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव, नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान मधुसूदन की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
ब्रह्म योग
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर ब्रह्म और इंद्र योग के भी संयोग बन रहे हैं। इस शुभ तिथि पर सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 56 मिनट तक ब्रह्म योग है। इसके बाद इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इंद्र योग का संयोग रात भर है। ब्रह्म और इंद्र योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
नक्षत्र एवं चरण
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर शतभिषा और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का संयोग है। शतभिषा नक्षत्र सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक है। इसके बाद पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का संयोग बनेगा। इसके साथ ही बालव एवं कौलव करण के योग हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 47 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 52 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 13 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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