Vastu Tips: हाई-राइज बिल्डिंग में मॉडर्न इंटीरियर के बीच इस तरह बनाएं ऊर्जा का संतुलन, भूलकर भी न करें ये काम
Vastu Tips by Astro Arun Pandit आधुनिक तौर-तरीके से तैयार हो रहे घर वास्तु शास्त्र के हिसाब से कितने बेहतर हैं उस घर के निवासियों के लिए? आधुनिक घरों में हो पा रहा है परंपरा और नवाचार के संगम के बीच वास्तु का संतुलन? बता रहे हैं वास्तु विशेषज्ञ अरुण पंडित
Vastu Tips by Astro Arun Pandit : अरुण पंडित, नई दिल्ली। आज के दौर में स्मार्ट शहर, हाई-राइज बिल्डिंग्स और माडर्न इंटीरियर्स ने हमारे घरों को नया रूप तो दे दिया है, लेकिन इस सब के बीच वास्तु शास्त्र की पारंपरिक ऊर्जा प्रणाली कहीं न कहीं खोती जा रही है।
ऐसे में एक सवाल उठता है-क्या हम बिना अपने आराम और सुविधाओं से समझौता किए परंपरा और आधुनिकता का संतुलन बना सकते हैं? आपको समझना चाहिए कि वास्तु कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि ऊर्जा का विज्ञान है।
यदि हम सजग होकर घर बनाएं और सजाएं, तो वह न सिर्फ सुंदर बल्कि सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनता है। परंपरा और आधुनिकता को संतुलित करके ही हम सच्चे सुख और समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं।
शहरीकरण और ऊंची इमारतें
आजकल ज्यादातर लोग अपार्टमेंट्स में रहते हैं। परंपरागत वास्तु शास्त्र जमीन से जुड़ी क्षैतिज रचना पर आधारित था, लेकिन ऊंचाई में बने अपार्टमेंट्स में दिशाओं की ऊर्जा में असंतुलन हो सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि धन और अवसर की कारक दिशा उत्तर और स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता के उत्तर -पूर्व जोन में बाथरूम, शाफ्ट या पिलर हो तो ऊर्जा प्रभावित हो सकती है।
इसका समाधान है- तत्वों के माध्यम से संतुलन। जैसे उत्तर दिशा में नीला रंग, लहरदार आकृति (जल तत्व) और एल्युमिनियम की चीजें रखने से ऊर्जा को फिर से सक्रिय किया जा सकता है।
दर्पण: सौंदर्य या संकट?
आधुनिक इंटीरियर में जगह को विस्तारित दिखाने और रोशनी फैलाने के लिए दर्पण अहम हिस्सा बन गए हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार दर्पण ऊर्जा को दोगुणा करता है। गलत स्थान पर लगाया गया दर्पण नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
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समाधान है कि दक्षिण और दक्षिण -पश्चिम में दर्पण लगाने से बचें। ये जीवन में गुस्सा, धनहानि और अस्थिरता ला सकते हैं। दर्पण उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना शुभ रहता है।
ओपन फ्लोर प्लान व कांच की दीवारें
ओपन फ्लोर प्लान और बड़ी-बड़ी कांच की खिड़कियां आधुनिक आर्किटेक्चर की पहचान हैं, लेकिन इससे ऊर्जा की गोपनीयता व नियंत्रण कम हो जाता है। बिना दीवारों के जोन आपस में मिलने लगते हैं- जो उस घर में निवासियों के जीवन में चिंता का कारक बनता है।
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इसका समाधान है - तत्वों के अनुसार सजावट। अग्नि तत्व वाले दक्षिण-पूर्व जोन में लाल त्रिकोण आकृति और तांबे की वस्तुएं रखें।
बेसमेंट और अंडरग्राउंड पार्किंग
शहरों में बेसमेंट और पार्किंग अब जरूरी हो गए हैं, जबकि वास्तु में इसे निषेध माना जाता है। उत्तर और पूर्व दिशा में गहरे निर्माण से उसके ऊपर रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य व अवसरों में बाधा आ ती है।
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उपाय के रूप में इन स्थानों को प्रकाशमान, साफ-सुथरा और हवादार रखें। इसी तरह यहां स्वच्छ जल के प्रतीक या ऊर्जा बढ़ाने वाले चित्र लगाकर स्थिति को संतुलन में लाया जा सकता है।
प्री-फैब्रिकेटेड और मॉड्यूलर डिजाइन
प्री-फैब्रिकेटेड और मॉड्यूलर निर्माण में दिशाओं की सटीकता अक्सर छूट जाती है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है।
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यहां सुझाव है कि कोई भी स्थायी वस्तु स्थापित करने से पहले वास्तु कंपास या विशेषज्ञ से सलाह लें। जैसे पढ़ाई का स्थान अगर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में हो, तो वहां गोल सफेद आकृति और लोहे से बनी सामग्री का प्रयोग करें।
ऐसे बनेगा आधुनिकता में वास्तु का संतुलन
कुछ आसान Vastu Tips से हम ऊर्जा का संतुलन बना सकते हैं:
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दिशा से संबंधित तत्व-आधारित रंग, आकृति और सजावट के लिए उस धातु का उपयोग करें।
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दिशाओं के अनुसार कमरों का निर्धारण करें जैसे रसोई दक्षिण-पूर्व में व मास्टर बेडरूम दक्षिण -पश्चिम में होना चाहिए।
- गलत जोन में बने बाथरूम या स्टोर को ऊर्जा उपकरणों से संतुलित करें।
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