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    Varuthini Ekadashi पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, खुशियों से भर जाएगा जीवन

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 20 Apr 2025 01:52 PM (IST)

    वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025 Mantra) तिथि पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। एकादशी तिथि पर वैष्णव समाज के अनुयायी विष्णु जी की विशेष पूजा करते हैं।

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    Varuthini Ekadashi 2025: भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 24 अप्रैल को वरूथिनी एकादशी है। यह दिन जग के स्वामी भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है।

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    धार्मिक मत है कि वरूथिनी एकादशी व्रत करने से साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अत: साधक एकादशी के दिन श्रद्धा भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो एकादशी के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    एकादशी मंत्र

    1. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    2. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    3. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

    धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

    4. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।

    5. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |

    पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।

    एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |

    य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।

    6. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

    7. पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।

    8. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।

    बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

    9. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    10. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    तुलसी माता की आरती

    जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।

    सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥

    जय तुलसी माता...

    सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।

    रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥

    जय तुलसी माता...

    बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।

    विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥

    जय तुलसी माता...

    हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।

    पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥

    जय तुलसी माता...

    लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।

    मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥

    जय तुलसी माता...

    हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।

    प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥

    हमारी विपद हरो तुम,कृपा करो माता ॥

    जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।

    सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।