Varuthini Ekadashi पर 'ब्रह्म' योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी योग, मिलेगा दोगुना फल
धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत (Varuthini Ekadashi 2025 Date) रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही साधक पर भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। वहीं मृत्यु के बाद वैकुंठ में स्थान मिलता है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 24 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी है। यह पर्व हर साल वैशाख महीने में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है।
ज्योतिषियों की मानें तो वरूथिनी एकादशी पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इनमें ब्रह्म और इंद्र योग का भी शुभ संयोग बन रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होगी। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होगा। आइए, वरूथिनी एकादशी की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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वरूथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat)
23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। अत: 24 अप्रैल को वरूथिनी एकादशी मनाई जाएगी।
वरूथिनी एकादशी पारण समय
वरूथिनी एकादशी का पारण 25 अप्रैल को किया जाएगा। साधक 25 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 23 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। इस दौरान साधक लक्ष्मी नारायण की पूजा कर व्रत खोल सकते हैं। वहीं, पूजा के बाद अन्न का दान अवश्य करें।
वरूथिनी एकादशी शुभ योग (Varuthini Ekadashi Shubh Yoga)
ज्योतिषियों की मानें तो वरूथिनी एकादशी पर ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। ब्रह्म योग दोपहर 03 बजकर 56 मिनट तक है। इसके बाद इंद्र योग का संयोग बन रहा है। इंद्र योग 25 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त हर परेशानी दूर होगी।
शिववास योग
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 47 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 52 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 13 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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