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    Nirjala Ekadashi Katha: इस व्रत कथा के बिना अधूरी है निर्जला एकादशी की पूजा, मिलेगा सभी एकादशियों का पूर्ण फल

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 08:15 AM (IST)

    जगत के पालनहार भगवान विष्णु को एकादशी तिथि समर्पित है। इस तिथि पर व्रत करने से साधक को जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं। साथ ही श्रीहरि की कृपा से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ माह में निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है। पूजा के दौरान का कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha) का पाठ जरूर करें।

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    Nirjala Ekadashi Katha: निर्जला एकादशी के दिन करें इस कथा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एकादशी तिथि को बेहद खास माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इस अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही निर्जला व्रत करना चाहिए।

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    पूजा के दौरान सच्चे मन से व्रत कथा का पाठ जरूर करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) के दिन पूजा और व्रत करने से साधक पर श्रीहरि की कृपा बरसती है और सभी एकादशी व्रत का शुभ फल मिलता है। साथ ही व्रत कथा का पाठ करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं निर्जला एकादशी की व्रत कथा।

    यह भी पढ़ें: Kab Hai Nirjala Ekadashi 2025: इस विधि से करें निर्जला एकादशी व्रत, अभी नोट करें शुभ मुहूर्त

    निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि निर्जला एकादशी की व्रत कथा पांडव भाई भीम से जुड़ी है, जिसकी वजह से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऐसा समय आया कि जब भीमसेन ने वेद व्यास को बताया कि उसके सभी भाई हर महीने में पड़ने वाली 2 एकादशी व्रत करते हैं, लेकिन मेरे (भीमसेन) लिए हर माह में 2 बार एकादशी व्रत करना अधिक कठिन है।

    इसके बाद भीमसेन ने वेद व्यास से पूछा कि ऐसा कोई व्रत बताए कि जिसको करने से मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए। ऐसे में वेद व्यास ने निर्जला एकादशी व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इस व्रत करने से 24 एकादशी व्रत का शुभ फल प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के दौरान अन्न और जल का त्याग किया जाता है।

    निर्जला एकादशी 2025 और डेट शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 06 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 07 जून को सुबह 04 बजकर 47 मिनट पर

    इस प्रकार आज यानी 06 जून को निर्जला एकादशी व्रत किया जा रहा है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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