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    Mohini Ekadashi 2025: मोहिनी एकादशी के दिन तुलसी से जुड़े इन नियम का करें पालन, प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी

    हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां तुलसी की विशेष पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) के दिन तुलसी की पूजा करने धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 28 Apr 2025 10:03 AM (IST)
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    Mohini Ekadashi 2025: तुलसी से जुड़े नियम

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोहिनी एकादशी व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) के दिन तुलसी के नियम (Tulsi Ke Niyam) का पालन करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और हमेशा धन से तिजोरी भरी रहती है। साथ ही सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मोहनी एकादशी के दिन तुलसी से जुड़े नियम के बारे में विस्तार से।

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    न करें ये गलती

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां तुलसी एकादशी तिथि पर निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में तुलसी में जल देने से मां तुलसी का व्रत खंडित हो सकता है। इसी वजह से एकादशी के दिन तुसली में जल देने की मनाही है और तुलसी के पत्ते भूलकर भी न तोड़ें।

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    इस बात का रखें ध्यान

    मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर होता है। ऐसे में तुलसी के पास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। साथ ही पौधे के पास जूते-चप्पल, झाड़ू न रखें। ऐसा माना जाता है कि इस तरह की गलती करने से साधक को मां लक्ष्मी की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।

    भोग में जरूर शामिल करें तुलसी के पत्ते

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के भोग में तुलसी के पत्ते शामिल न करने से विष्णु जी भोग को स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए एकादशी तिथि से पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लें।

    कब है मोहिनी एकादशी 2025 (Mohini Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगी और 08 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर तिथि खत्म होगी। ऐसे में 08 मई को मोहिनी एकादशी व्रत किया जाएगा।

    तुलसी जी के मंत्र -

    महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

    तुलसी गायत्री -

    ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

    मां तुलसी का पूजन मंत्र

    तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।