Mohini Ekadashi Vrat 2025: 7 या 8 मई...कब है मोहिनी एकादशी? एक क्लिक में जानें डेट से लेकर सबकुछ
मोहिनी एकादशी भगवान विष्णु की पूजा के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। कहते हैं कि इस व्रत का पालन करने से सभी दुखों का अंत होता है। इस साल यह एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) कब मनाई जाएगी? आइए इस आर्टिक में जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मोहिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप को समर्पित है और इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप भी इस साल मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) का व्रत रखने की सोच रहे हैं और आप इसकी डेट को लेकर थोड़ा कन्फ्यूज्ड हैं, तो आइए यहां इसकी सही जेट जानते हैं।
मोहिनी एकादशी 2025 कब है? (Mohini Ekadashi 2025 Kab Hai?)
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई को रखा जाएगा।
मोहिनी एकादशी का महत्व (Mohini Ekadashi 2025 Significance)
मोहिनी एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति मोह-माया के बंधनों से मुक्त होता है और उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से बड़े से बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान विष्णु ने इसी दिन मोहिनी रूप धारण करके देवताओं को अमृत पान कराया था, इसलिए इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मोहिनी एकादशी पूजा विधि (Mohini Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
- सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- श्री हरि के सामने व्रत करने का संकल्प लें।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- उन्हें पीले फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- विष्णु सहस्रनाम, विष्णु स्तुति और मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करें।
- भगवान विष्णु की आरती करें।
- व्रती रात्रि जागरण करें और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन द्वादशी तिथि को स्नान के बाद जरूरतमंदों को दान दें और फिर व्रत का पारण करें।
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