Mohini Ekadashi पर पूजा के समय जरूर करें ये उपाय, चमक उठेगा सोया भाग्य
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Mohini Ekadashi 2025 Yoga) पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग अनुसार, गुरुवार 08 मई को मोहिनी एकादशी है। यह पर्व पूर्णतया जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्राप्त से साधक के जीवन में शुभ और मंगल का आगमन होगा। साथ ही जीवन में व्याप्त संकटों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषियों की मानें तो मोहिनी एकादशी पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से हर काम में सफलता मिलेगी। इसके अलावा, आय और सौभाग्य में भी वृद्धि होगी। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो मोहिनी एकादशी के दिन पूजा के समय ये उपाय जरूर करें।
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एकादशी के उपाय
- अगर आप सुख और सौभाग्य में वृद्धि पाना चाहते हैं, तो मोहिनी एकादशी के दिन पूजा के समय गाय के कच्चे दूध से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से कुंडली में चंद्र और शुक्र दोनों ग्रह मजबूत होंगे। शुक्र मजबूत होने से साधक के सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
- अगर आप कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं, तो मोहिनी एकादशी के दिन स्नान-ध्यान के बाद लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय गन्ने के रस से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।
- अगर आप लक्ष्मी नारायण जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो मोहिनी एकादशी के दिन पूजा के समय विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- अगर आप आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो एकादशी के दिन पूजा के समय लक्ष्मी नारायण जी को एकाक्षी नारियल अर्पित करें। इस उपाय को करने से देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
विष्णु मंत्र
1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
2. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
3. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
4. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
5. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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