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    इस विधि से करें Apara Ekadashi का पारण, मिलेगी प्रभु श्रीहरि और माता लक्ष्मी की कृपा

    Updated: Fri, 23 May 2025 10:44 AM (IST)

    हर महीने की एकादशी तिथि (Ekadashi Vrat 2025) पर व्रत किए जाने का विधान है। एकादशी व्रत मुख्य रूप से प्रभु श्रीहरि और माता लक्ष्मी के निमित्त किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण करना भी जरूरी माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं अपरा एकादशी के पारण का समय और विधि।

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    Apara Ekadashi 2025 कैसे करें अपरा एकादशी का पारण।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह में आने वाली एकादशी पर एकादशी व्रत किया जाता है। कुछ साधक इस व्रत का निर्जला भी रखते हैं। पंचांग के अनुसार, हर साल अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाता है।

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    ऐसे में इस बार अपरा एकादशी का व्रत आज यानी 23 मई को किया जा रहा है। एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप किस तरह अपरा एकादशी व्रत का पारण कर सकते हैं। 

    एकदाशी व्रत पारण समय

    अपना एकादशी का पारण 24 मई को किया जाएगा। इस दिन पर पारण का समय प्रातः 5 बजकर 26 मिनट से सुबह 8 बजकर 11 मिनट तक रहने वाला है। पारण के दिन द्वादशी तिथि शाम 7 बजकर 20 मिनट तक रहने वाली है।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    एकादशी व्रत पारण विधि

    एकादशी व्रत का पारण करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बाद पंचामृत का भोग लगाएं और उसमें तुलसी दल भी जरूर डालें। इसके साथ ही आप प्रभु श्रीहरि को सात्विक चीजों का भोग लगा सकते हैं। पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप करें और अपने मुंह में तुलसी का पत्ता रखकर एकादशी व्रत का पारण करें।

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    ध्यान रखें ये बातें

    एकादशी व्रत के पारण में मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल, लहसुन-प्याज आदि का सेवन से दूर रहें। साथ ही अधिक शुभ फलों की प्राप्ति के लिए इस दिन पर सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवा सकते हैं और दान आदि भी दे सकते हैं। इससे आपको एकादशी व्रत का पूर्ण फल मिलता है।

    करें इन मंत्रों का जप

    पारण के दौरान आप इन मंत्रों का जप कर सकते हैं, जिससे आपको प्रभु श्रीहरि और मां लक्ष्मी की कृपा मिल सकती है।

    • 1. 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    • 2. ॐ विष्णवे नमः
    • 3. श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि
    • 4. भगवान विष्णु गायत्री मंत्र - ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।