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    मांगों को लेकर चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर धरना जारी, 264वें दिन भी नहीं मिला समाधान

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 04:32 PM (IST)

    शाहपुरकंडी बैराज औसती संघर्ष कमेटी का रणजीत सागर बांध परियोजना के चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर धरना 264वें दिन भी जारी रहा। 2 अप्रैल से जारी इस धरने ...और पढ़ें

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    चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर जारी धरना।

    जागरण संवाददाता, पठानकोट। पठानकोट के शाहपुरकंडी बैराज औसती संघर्ष कमेटी की ओर से अपनी लंबित मांगों को लेकर रणजीत सागर बांध परियोजना के चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर धरना 264वें दिन भी जारी रहा। ये धरना 2 अप्रैल से जारी है। लंबे समय के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

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    संघर्ष कमेटी के सदस्यों ने बताया कि सरकार और प्रशासन की उदासीनता के चलते प्रभावित परिवारों में गहरी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन को भी एक महीना बीत चुका है, लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।

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    इससे यह साफ होता है कि प्रशासन औसती परिवारों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है। कमेटी नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन अब तक के संघर्षों में सबसे लंबा और कठिन आंदोलन बन चुका है। लंबे समय से चल रही भूख हड़ताल के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस पहल न किए जाने से संघर्षरत परिवारों का धैर्य जवाब देने लगा है।

    उन्होंने कहा कि बार-बार ज्ञापन देने और वार्ताओं के बावजूद उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि शाहपुरकंडी बैराज और रणजीत सागर बांध परियोजना के चलते जिन परिवारों को विस्थापन का सामना करना पड़ा, उन्हें अब तक न तो पूरा मुआवजा मिला है और न ही पुनर्वास की उचित व्यवस्था की गई है। ऐसे में प्रभावित परिवारों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।

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    स्थायी समाधान की मांग

    संघर्ष कमेटी ने दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक औसती परिवारों की मांगों का स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक उनका आंदोलन और भूख हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

    जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। धरने के दौरान रजत बालोतरा, जसविंदर सिंह (गांव जुगियाल), युवराज सिंह (गांव छन्नी), रविंदर कुमार (शाहपुरकंडी) और रोहित कुमार (गांव आदियाल) सहित अन्य प्रभावित परिवार मौजूद रहे।

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