एसजीपीसी अध्यक्ष धामी की चेतावनी- श्री अकाल तख्त साहिब से बड़ी बनने की कोशिश न करे सरकार, एकजुट हो सिख पंथ
लुधियाना में एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने सरकार को धार्मिक मामलों में दखल न देने की चेतावनी दी। उन्होंने सिख पंथ पर हो रहे हमलों के खिलाफ समु ...और पढ़ें

समराला में मीडिया से बातचीत करते हुए एडवोकैट हरजिंदर सिंह धामी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। लुधियाना के माछीवाड़ा साहिब में आज शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने पहुंच एक बार फिर सरकार को धार्मिक मामलों में दखल ना देने की चेतावनी दे दी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सिख पंथ पर बड़े हमले हो रहे हैं और इसे रोकने के लिए पूरे समुदाय को एकजुट होने की आवश्यकता है।
प्रधान धामी ने कहा कि मौजूदा पंजाब सरकार लंबे समय से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के मामलों में हल्के रवैये से पेश आ रही है। उन्होंने 328 पावन स्वरूपों की गुमशुदगी के मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले में बनाई गई कार्रवाई सरकार द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब के अधिकार क्षेत्र से ऊपर होने की कोशिश है।
उनका कहना था कि पावन स्वरूपों की गुमशुदगी का मामला पूरी तरह तख्त साहिब के अधीन है और एसजीपीसी लंबे समय से गुरुद्वारों के प्रबंध को सुव्यवस्थित ढंग से चला रही है।
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स्वरूप गुम नहीं हुए, ये धोखाधड़ी का मामला था
एडवोकेट धामी ने कहा कि 328 स्वरूप कहीं गुम नहीं हुए हैं, जैसा कि डॉ. ईशर की रिपोर्ट में दावा किया गया है। ये धोखाधड़ी से जुड़ा मामला था। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने दबी, कुचली और गरीब जनता व धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया। अब सिख पंथ को भी मजबूत होकर चुनौतियों का सामना करना होगा।
एसजीपीसी अध्यक्ष ने वीर बाल दिवस और चार साहिबजादों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि चार साहिबजादे हमारे गुरु साहिब की ज्योति हैं, बाल नहीं।
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सिख सिद्धांतों को तोड़ने के लिए गलत तरीके अपनाए जा रहे
उन्होंने कहा कि सिख सिद्धांतों को तोड़ने के लिए गलत माध्यम बनाए जा रहे हैं। उन्होंने भाजपा द्वारा गुरु साहिब और चार साहिबजादों के कार्टून बनाने की सख्त निंदा की और चेतावनी दी कि अगर इस तरह की हरकतें जारी रहीं तो सिख पंथ को कड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा।
धामी ने स्पष्ट किया कि हमारे गुरु साहिबानों को कभी भी मनुष्य या कार्टून के रूप में नहीं दिखाया जा सकता। उन्होंने सरकारों से अपील की कि ऐसी नीतियों और गतिविधियों से बचें और सिख पंथ की भावनाओं का सम्मान करें।

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