Move to Jagran APP

लुधियाना की घोड़ा मंडी में 'सिकंदर' और 'नवाब' पर सबकी नजर, 1.19 करोड़ मिलने पर भी मालिक बेचने काे तैयार नहीं

जगदीप सिंह ने बताया कि उनका पूरा परिवार घोड़ों का शौकीन है। उन्होंने धूरकोट में बाकायदा स्टड फार्म बनाया हुआ है। उनके पास करीब 15 घोड़े और घोड़ियां हैं। सिकंदर और नवाब उनकी शान हैं। सिकंदर को डेढ़ महीना पहले उन्होंने गुजरात से 65 लाख में खरीदा था।

By Vipin KumarEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 08:33 AM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 09:43 PM (IST)
लुधियाना की घोड़ा मंडी में 'सिकंदर' और 'नवाब' पर सबकी नजर, 1.19 करोड़ मिलने पर भी मालिक बेचने काे तैयार नहीं
घोड़े नवाब के साथ जतिंतदर सिंह । (जागरण)

जगराओं (लुधियाना) [संजीव गुप्ता]। कहते हैं कि शौक की कोई कीमत नहीं होती है। यह बात जगराओं में घोड़ों की मंडी में उस समय देखने को मिली जब पंजाब के धूरकोट से अपने घोड़े सिकंदर और नवाब के साथ पहुंचे जतिंदर सिंह और उनके पुत्र जगदीप सिंह ने सिकंदर के 74 लाख और नवाब के 45 लाख रुपये मिलने पर भी उन्हें नहीं बेचा। घोड़ों की इतनी बड़ी कीमत मिलने पर भी जब घोड़े नहीं बेचे गए तो हर कोई हैरान था। इस पर जतिंदर सिंह और उनके बेटे जगदीप सिंह ने कहा कि यह उनके लिए सिर्फ घोड़े नहीं बल्कि उनके सपनों के सौदागर हैं।

loksabha election banner

इनकी अपनी शान और खूबियां हैं। जब वह इनकी खूबियों के बारे में लोगों को बताते हैं तो उनका सीना चौड़ा हो जाता है। जगदीप सिंह ने बताया कि उनका पूरा परिवार घोड़ों का शौकीन है। उन्होंने धूरकोट में बाकायदा स्टड फार्म बनाया हुआ है। उनके पास करीब 15 घोड़े और घोड़ियां हैं। सिकंदर और नवाब उनकी शान हैं। उन्होंने बताया कि सिकंदर को डेढ़ महीना पहले उन्होंने गुजरात से 65 लाख में खरीदा था। सिकंदर का पिता रोहतगड़ के राजघराने का घोड़ा था। इसी तरह नवाब की भी अलग नवाबी शान है। नवाब का पिता ‘नाग’ अब तक के जाने माने घोड़ों में से एक है, जिसकी कीमत ढाई करोड़ रुपये है।

यह भी पढ़ें-Ludhiana Burning Car: अचानक लपटों से घिरी सड़क पर चलती कार, बची दंपती और बच्चे की जान

कई मुकाबले खेलने पर भी नहीं हारा नवाब

नवाब ने कई मुकाबले खेले हैं और कभी नहीं हारा है। वह पुष्कर, मुक्तसर, पटियाला और हनुमानगढ़ में मुकाबले जीत चुके हैं। काले रंग के नवाब घोड़े की शान हर किसी को आकर्षित करती है। उनका परिवार इन घोड़ों को कभी नहीं बेचेगा। यह तो उन्होंने शौक के लिए रखे हैं। इनकी देखभाल के लिए जो भी खर्च होता है वह सब शौक से उसे पूरा करते हैं।

जगराओं के मेले में वह सिकंदर और नवाब को लोगों को दिखाने के लिए लाए थे। इन्हें खरीदने के कुछ लोग रुपयों से भरे बैग लेकर घूम रहे हैं लेकिन वह इन्हें बेचेंगे नहीं। मेला देखने के बाद जतिंदर सिंह नवाब और सिकंदर के साथ वापस चले गए। लोगों में इन घोड़ों की दिनभर चर्चा होती रही।

यह भी पढ़ें-होशियारपुर में महिला पुलिसकर्मियों को अजब ड्रेस काेड, जूड़ा बांधकर आना होगा ड्यूटी पर; हेयर स्‍टाइल नहीं चलेगा

देसी घी के शौकीन हैं सिकंदर व नवाब

सिकंदर और नवाब की खुराक के बारे में ज¨तदर ने बताया कि दोनों देसी घी के शौकीन हैं। दोनों नियमित तौर पर सरसों का तेल, बाजरा और मक्का भी खाते हैं। देखभाल के लिए तीन मुलाजिम रखे हैं। स्टड फार्म में घोड़ों के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं।

यह भी पढ़ें-किसान आंदोलन के चलते अब पंजाब के फिराेजपुर में Adani का साइलो प्लांट बंद, 400 श्रमिकों को निकाला; दिहाड़ी को तरसे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.