सेना से कैप्टन रिटायर्ड गुरप्रीत चंडीगढ़ में एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बनी, ज्वाइनिंग के लिए साढे तीन साल कोर्ट में डटी रही
सेना से कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त गुरप्रीत चंडीगढ़ में एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बनीं। इस पद को प्राप्त करने के लिए उन्हें साढ़े तीन साल तक कोर्ट में संघर् ...और पढ़ें

माता-पिता व करीबियों के साथ गुरप्रीत कौर।
विजय मौर्य, लुधियाना। लुधियाना के वार्ड नंबर 81 स्थित शिवाजी नगर की रहने वाली सेना से रिटायर्ड कैप्टन अधिकारी गुरप्रीत कौर ने चंडीगढ़ स्थित पंजाब सरकार के सचिवालय में एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के रूप में ज्वाइनिंग की है। गुरप्रीत कौर की इस उपलब्धि से न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे पंजाब के लिए गर्व की बात है।
ज्वाइनिंग के बाद गुरप्रीत कौर जब लुधियाना अपने घर पहुंची तो क्षेत्र की पार्षद मंजू अग्रवाल व इलाके के लोगों ने उनका स्वागत किया। गुरप्रीत कौर की ये उपलब्धी आसान ना थी। आर्मी ट्रेनिंग से मिले दृढ़ निश्चय के कारण ही वह इस कुर्सी तक पहुंच पाई है।
जॉइनिंग के समय तकनीकि खामियों के कारण 2021 में परीक्षा पास करने के बाद भी उन्हें पोस्टिंग ना मिल सकी। लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट साढ़े 3 साल तक लड़ाई लड़ने के बाद उन्हें अब 2025 में पोस्टिंग मिली है।
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मेहनत, लगन व आत्मविश्वास के बाद मुकाम मिला
इलाके की पार्षद मंजु अग्रवाल ने कहा कि गुरप्रीत कौर ने अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के बल पर जो मुकाम हासिल किया है। वह समाज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। आज के समय में जब बड़ी संख्या में युवा विदेश जाने की सोचते हैं।
गुरप्रीत कौर ने यह साबित कर दिया है कि देश में रहकर भी कड़ी मेहनत और ईमानदारी से सफलता के नए रास्ते खोले जा सकते हैं।
सूबेदार दादा से मिली प्रेरणा
गुरप्रीत अकेले ही आर्मी तक नहीं पहुंची, ये विरासत उन्हें अपने दादा से मिली। गुरप्रीत कौर के अपने दादा स्वर्गीय जसवंत सिंह आर्मी में सूबेदार थे। उनसे प्रेरणा लेकर पहले भारतीय सेना के नर्सिंग विभाग में शामिल हुईं थी।
कैप्टन के पद तक पहुंचकर देश सेवा की। कुछ वर्षों तक सेना में सेवाएं देने के बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का निर्णय लिया। पीसीएस परीक्षा में सफलता हासिल की और अब लंबी लड़ाई के बाद चंडीगढ़ में ज्वाइन किया।
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बचपन से आत्मनिर्भर थी गुरप्रीत
गुरप्रीत कौर ने लुधियाना के जैन पब्लिक स्कूल से स्कूली शिक्षा तो डीएमसी कॉलेज से ग्रेजुएशन की है। पिता सरदार अमरीक सिंह एवं माता जसबीर कौर ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही आत्मनिर्भर और लक्ष्य के प्रति समर्पित रही है।
गुरप्रीत कौर हमेशा अपने लक्ष्य स्वयं तय करती आई है और उन्हें पूरा करने के लिए पूरी निष्ठा से मेहनत करती रही है। अब वाहेगुरु की कृपा से वह चंडीगढ़ सचिवालय में पंजाब सरकार में बतौर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के रूप में तैनात हो गई हैं।

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