Firozpur Flood: किश्तियों से 2 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला; ग्रामीण बोले ऐसी बर्बादी तो 1988 में भी नहीं हुई
फिरोजपुर के 48 से ज्यादा गांव बाढ़ के कारण प्रभावित हैं। सीमावर्ती गांवों का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। रात को 20 गांव पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं। घरों में अब भी 3500 से ज्यादा लोग घरो में फंसे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ तो हमने 1988 में भी देखी थी लेकिन इस बार सब बर्बाद हो गया।
फिरोजपुर, तरूण जैन। Firozpur Flood: सतलुज में उफान के कारण जिले के 48 से ज्यादा गांव पानी के कारण प्रभावित हैं। सीमावर्ती गांवों में पानी का जल स्तर बढ़ता जा रहा है और रात को 20 गांव पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं। घरों में अब भी 3500 से ज्यादा लोग घरो में फंसे हुए हैं, जिन्हें सुरक्षा ऐजंसियों द्वारा निकाला जा रहा है। प्रशासन द्वारा 25 किश्तियों के माध्यम से अभी तक 2 हजार लोगों को निकाला जा चुका है।
मायूसी के साथ खेतों को निहार रहे किसान
लोगों की सहायता के लिए बीएसएफ के 100 जवानों के अलावा आर्मी और एनडीआरएफ की 2-2 कंपनिया लगी हुई हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों को सुरक्षित रखने के लिए 6 स्कूलों में राहत कैंप बनाए हैं। लोगों ने सेना के बंकरो के भीतर और उनके ऊपर शरण ले रखी है तो कई पानी में डूबे अपने खेतों को ही निहार रहे हैं।
डिप्टी कमिश्रर राजेश धीमान ने कहा कि पानी का लेवल बढ़ने के कारण एकदम से पानी ने गांवों सहित हुसैनीवाला स्मारक पर दस्तक दी है। प्रशासन द्वारा बचाव कार्य निरंतर जारी है और लोगों की सहायता में हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
बाढ़ के पानी ने फिरोजपुर के 48 से ज्यादा गांवों में दस्तक दी है और सबसे ज्यादा नुकसान हुसैनीवाला के साथ लगते गट्टी बैल्ट के 20 गांवो में हुआ है। कालूवाला गांवों में जहां सभी घर पूरी तरह से पानी में घिर गए हैं तो कच्चे घर टूटने भी शुरू हो गए हैं, जबकि गट्टी राजोके, नई गट्टी, चांदीवाला, झुगे हजारा सिंह, जल्लोके, भाणेवाला, भखड़ा, टेंडीवाला, मेहताब ङ्क्षसह, कमालेवाला, छीना सिंह वाला, चूरीवाला, खुंदर गट्टी के घर पानी से लबालब हैं।
बांध पर जीवन बसर कर रहे लोग
कई लोग बांध पर अपने पशुओं के साथ बैठकर जीवन बसर कर रहे हैं। उक्त गांवों में करीब 9 हजार की अबादी है। प्रशासन द्वारा गांव बारेके में राहत कैंप बनाने का दावा किया गया था, लेकिन अभी तक स्कूल में कोई भी व्यक्ति शरण लेने नहीं पहुंचा है।
हरिके हैडवर्कस से पानी का डाऊन स्ट्रीम 284947 क्यूसेक था, जबकि हुसैनीवाला हैडवर्कस से 282875 क्यूसेक रहा। हुसैनीवाला से 25 गेट खोलकर पानी को आगे भेजा जा रहा है ताकि पानी को अन्य जगह फैलने से बचाया जा सके।
ऐसा नुकसान तो 1988 में भी नहीं हुआ: ग्रामीण
सीमा सुरक्षा बल की चौंकी सतपाल पर बंकर के पास बैठे 70 वर्षीय सुच्चा सिंह ने बताया कि उसकी 10 एकड़ भूमि है। बाढ़ तो उसने 1988 में भी देखी थी, लेकिन तब इतनी तबाही नहीं हुई थी, जितनी अब देखने को मिल रही है। तब पानी सीधा आगे की तरफ निकल रहा था, लेकिन इस बार पानी फैल गया है।
पिछले दो दिनों से वह अपने परिवार के साथ बीएसएफ की चौंकी सतपाल के पास बंकरो पर रह रहा है। रात को मच्छर काटते हैं और दिन में धूप से जीना मुहार हो रखा है।
चौंकी के पास ही उसके खेत है और वह चारपाई पर लेटकर मेहनत से रोपी हुई धान की फसल को देखता रहता है, जोकि पानी में पूरी तरह से डूब गई है। सुच्चा सिंह ने बताया कि उसने लाखो रूपए आढ़तिये से कर्ज लेकर धान लगाई थी, लेकिन अब किस तरह से कर्ज को उतारेगा यहीं चिंता सता रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा भी उनकी सहायता के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अभी तक प्रशासनिक अधिकारी उनसे मिलने नहीं आए। संस्थाए उन्हें भोजन दे जाती हैं और उसी को खाकर वह गुजारा कर रहे हैं।
'पहले बाढ़ से वॉर तो अब सिस्टम से'
गांव हजारा की रहने वाली 70 वर्षीय कतार कौर अपने बच्चों के साथ राष्ट्रीय स्मारक हुसैनीवाला के पास बैठी पंखा कर रही थी। उसने बताया कि 2 एकड़ भूमि में धान की फसल लगा रखी थी और परिवार में 9 लोग है। गांव में शुक्रवार को ही पानी आना शुरू हो गया था, जिसके बाद उन्होंने सोचा कि घर की छत पर शरण ली जाए, लेकिन पानी का प्रभाव बढ़ता गया तो सिर्फ कपड़ों को लेकर मुश्किल से वह इधर आए हैं। पूरी रात उन्होंने जागकर निकाली है कि अब आगे क्या बनेगा? क्योंकि सब कुछ ही उनका बर्बाद हो चुका है।
पानी का लेवल कम होने का इंतजार कर रहे लोग
- वहीं, 69 वर्षीय प्रकाश सिंह निवासी गांव जल्लोके ने बताया कि घर में 4 फीट तक पानी खड़ा हुआ है। परिवार में 12 लोग है, जिनमें तीन बेटे, बहुएं, पोते-पोतियां शामिल है। बच्चे मजदूरी का काम करते हैं और खुद की पेंशन आती है। वह वॉर मैमोरियल के पास बैठकर यही इंतजार कर रहा है कि कब पानी का लेवल कम हो और वह अपने घरों में जाए।
- 20 वर्षीय मनजीत कौर अपने परिवारिक सदस्यो और दूध मुहे बच्चे के साथ भगत सिंह की समाधि के बिल्कुल बाहर बैठी है। उसने बताया कि सामाजिक संस्थाए भोजन तो देकर गई, लेकिन बच्चे का दूध अभी तक नहीं मिला है। वह काफी मुश्किल भरा जीवन काट रही है। मच्छरों के कारण उसके परिवार का बुरा हाल है।
- गांव हजारा से गुरमीत सिंह अपने बच्चों और पत्नी के साथ सिर पर सामान उठाकर सेना की किश्ती में बैठकर आया है। उसने बताया कि घर में सारा सामान पानी में भीग चुका है, लेकिन सेना की हिम्मत है कि खतरे के बावजूद उन्हें सुरक्षित घरो से निकाल रही है।
- कामलेवाला के रहने वाले पंजाब सिंह ने बताया कि गांव में दो दिन से पानी आया हुआ है, लेकिन उसे था कि पानी थम जाएगा। पानी का बढ़ता स्तर देखकर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ किश्ती में बैठकर बाहर आया है।