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    जी राम जी का विरोध, सभी राज्यों को पत्र लिखेगा पंजाब, राज्य को 600 करोड़ का होगा घाटा

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 06:05 PM (IST)

    पंजाब सरकार 'जी राम जी एक्ट' का विरोध कर रही है और सभी राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्रियों को पत्र लिखकर एकजुट होने की अपील करेगी। मंत्री तरूणप्रीत सिं ...और पढ़ें

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    मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद।

    इंदरप्रीत सिंह, चंडीगढ़। मनरेगा की जगह जी राम जी एक्ट लाने के खिलाफ पंजाब सभी राज्यों के मंत्रियों को इसका विरोध करने के लिए अपील करेगा। पंजाब में एक संयुक्त बैठक का आयोजन करने का भी आह्वान करेगा। पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने कहा है कि वह कल ही इस बाबत देश के सभी ग्रामीण विकास मंत्रियों को एक पत्र लिख रहे हैं और उन्हें आगाह कर रहे हैं कि नया कानून कितना नुकसानदेह है। जिसकी सबसे बड़ी मार अनुसूचित जाति वर्ग और उस गरीब वर्ग पर पड़ेगी जो मात्र 100 दिन काम करके अपना गुजारा चलाता है।

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    तरुणप्रीत सिंह सौंद ने मनरेगा और जी राम जी का तुलनात्मक स्टडी सामने रखते हुए कहा कि यह राज्यों के लिए बेहद खतरनाक कानून है। जिस प्रकार से केंद्र सरकार खेती के मामले में तीन काले कानून लेकर आई थी, अब यह मजदूर के मामले में एक और काला कानून लाई है। उन्होंने कहा कि पंजाब एक पहला ऐसा राज्य है जिसने न केवल इसका विरोध किया है, बल्कि 30 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इसके खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा।

    हम यह भी सोच रहे हैं कि इस पर राजनीतिक रूप से लड़ाई लड़ी जाए और सभी राज्यों को केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट करते हुए इस काले कानून का विरोध किया जाए।

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    राज्यों के ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्रियों को लिखा जाएगा खत

    तरुणप्रीत ने कहा कि वह कल ही इस मामले में सभी राज्यों के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्रियों को पत्र लिखेंगे और बताएंगे कि उनके राज्य को इस नए कानून से कितना नुकसान होने जा रहा है। जहां मनरेगा में 100 दिन की रोजगार गारंटी थी, उसमें जी राम जी में 125 दिन गारंटी की गई है। लेकिन, अभी तक नेशनल एवरेज केवल 45 दिनों की ही आई है।

    उन्होंने कहा कि पुराने कानून में जहां काम की मांग लाभपात्री कर सकता था वही नए कानून में केंद्र सरकार राज्यों के लिए फंड ही एलोकेट करेगा और उसके बाद कोई पैसा नहीं दिया जाएगा। यदि राज्य अतिरिक्त काम देना चाहते हैं तो यह वित्तीय भोज भी उन्हें ही उठाना होगा। जबकि, नरेगा में कोई पाबंदी नहीं थी, जितना मर्जी काम करके पैसा ले सकते थे।

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    पंजाब को 40 फीसदी का बोझ उइाना पड़ेगा

    उन्होंने कहा कि जहां पुरानी योजना में 100% वेजेस केंद्र सरकार देता था और सामग्री के 75% दिया जाता था वहीं अब दोनों को मिलाकर 60: 40  में यह राशि दी जाएगी। साफ है कि 40% का बोझ उठाने पर पंजाब जैसे राज्य को ही 600 करोड रुपए का घाटा पड़ेगा। इसके अलावा केंद्र सरकार ने काम की उपलब्धता में भी 60 दिन की कटौती कर दी है ।उन्होंने कहा कि पुराने कानून में यदि लाभपात्री को काम नहीं मिलता था तो बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान था लेकिन नए कानून में इसे समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि टैक्स कलेक्शन के काम केंद्र ने अपने हाथ में ले लिए हैं और खर्च का सारा बोझ राज्यों पर डाल दिया है।

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